प्यार की सच्ची दास्तां, साइकल से पार कर दिए 8 देश...

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आपने अक्सर बॉलीवुड की फिल्मों में प्यार की अनोखी कहानियां देखी होंगी। प्रेमिका को मिलने के लिए प्रेमी अपनी जान की परवाह नहीं करता है और कुछ भी करने के लिए तैयार होता है, लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक प्यार की एक सच्ची कहानी, जिसमें प्रेमिका से मिलने का वादा पूरा किया और साइकल से 8 देशों को पार कर वह अपने प्यार से मिलने के लिए पहुंच गया।

हमारे असली जिंदगी के ये अभिनेता और अभिनेत्री हैं डॉ. प्रद्‍युम्न कुमार (पीके) और शेर्लेट वॉन शेडविन की। यह ऐसे प्रेम की कहानी है जिसने सरहदों को पार कर दिया। सरकार ने उनकी कहानी को प्रेम कहानी को अमर बनाने के लिए एक वृत्तचित्र भी बनाया है। पीके का जन्म ओडिसा के गांव में एक गरीब परिवार में हुआ। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उन्होंने अपनी मेहनत से पढ़ाई पूरी की और आर्ट कॉलेज में एडमिशन लिया। 
(All Photo Courtesy: Facebook) 
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पीके अपनी चित्रकारी से बेहद चर्चित हो गए। इधर 19 साल की लंदन की छात्रा शेर्लेट ने जब प्रद्युम्न कुमार की चित्रकारी के बारे में सुना तो अपना पोर्टेट बनवाने के लिए भारत आ पहुंची। शेर्लेट, पीके की सादगी की कायल हो गई और पीके, शेर्लेट की सुंदरता पर मर मिटे और दोनों में प्यार हो गया।

शेर्लेट ने अपना नाम चारूलता कर दिया और पारंपरिक रीति-रीवाजों से दोनों ने शादी कर ली। शेर्लेट भारत और पीके को छोड़कर अपने देश स्वीट्‍जरलैंड वापस चली गईं। बाद में शेर्लेट ने पीके को अपने पास बुलाने के लिए हवाई टिकट भेजा, लेकिन स्वाभिमानी पीके ने पढ़ाई पूरी की बात कही और खुद के दम पर उसके पास आने का कहा। दोनों के बीच पत्रों से एक-दूसरे से जुड़े रहे। पीके को अपने प्यार को मिलने की तड़प थी और शेर्लेट से किया वादा भी पूरा करना था, लेकिन जेब की हालत खराब थी। 
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उन्होंने अपने वादे को पूरा करने के लिए अपना सारा सामान बेच दिया और एक पुरानी साइकल खरीद कर ब्रश और पेंट लेकर निकल पड़े, जो उनके लिए आसान नहीं था। अपने प्यार को मिलने की आशा में वे निकल पड़े पश्चिम की यात्रा पर।

नई दिल्ली से साइकल से अमृ‍तसर पहुंचे और फिर वहां से अफगानिस्तान, ईरान, तुर्की, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क पहुंचे। यात्रा के दौरान उन्हें कई बार भूखों रहना पड़ा और कई बार उनकी साईक खराब हुई, लेकिन तमाम विपरीप परिस्थियां उनके हौसलों को डिगा नहीं सकीं।  4 महीने, 3 हफ्तों के कष्टभरे सफर के बाद आखिरकार पीके गोटेनबर्ग, स्वीडन पहुंच गए।
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ये वो दिन थे जब कई देशों की यात्राओं के लिए वीजा की आवश्यकता नहीं होती थी। यहां भी उनकी तकलीफें खत्म नहीं हुई। इमिग्रेशन अधिकारियों ने पीके के साइकल से वहां तक पहुंचने पर हैरानी जताई और उनसे पूछताछ की। पीके ने अपने वहां पहुंचने का कारण बताया और शेर्लेट और अपनी शादी के फोटो अधिकारियों को दिखाए। शेर्लेट योरप के शाही परिवार से थीं और अधिकारियों को विश्वास नहीं हुआ कि उन्होंने एक गरीब लड़के से शादी की। 
अगले पन्ने पर, लेकिन पीके के मन में था यह संदेह...
 

पीके के मन में संदेह था कि क्या शेर्लेट उनके प्यार को स्वीकार करेगी। जब शेर्लेट को पता चला कि एक व्यक्ति भारत से साइकल से पांच महीने की यात्रा कर स्वीडन पहुंचा है तो वे गोटेनबर्ग पहुंची तो उन्हें आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। शेर्लेट ने अपने प्यार को गले लगा लिया, लेकिन दोनों के बीच शाही परिवार आ रहा था, जिसकी परंपरा थी कि गरीब और काले व्यक्ति से शादी नहीं की जा सकती है, लेकिन शेर्लेट ने इस परंपरा को तोड़ते हुए पीके से शादी की। आखिरकार शेर्लेट के माता-पिता ने भी उनके प्यार को स्वीकार लिया और आज दोनों दो बच्चों के साथ खुशहाली की जिंदगी जी रहे हैं।  पीके स्वीडन में भारत के ओडिया सांस्कृतिक राजदूत हैं। कभी अछूत और गरीब कहकर पीके को बाहर करने वाला गांव आज उनके हर यात्रा पर उनके स्वागत के लिए आतुर रहता है।
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