जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र (संरा) ने कहा कि म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के लिए वहां की सेना पूरी तरह जिम्मेदार है। इसके लिए सेना के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने रोहिंग्या के खिलाफ हुई हिंसा में वहां की सेना के प्रमुख तथा 5 जनरलों को जिम्मेदार ठहराया गया है तथा इस जघन्य अपराध के लिए उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों को अनुमति दी तथा रखाइन प्रांत में हिंसा के दौरान अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना की कार्रवाई में गांवों में आग लगा दी गई।
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय तथ्यान्वेषी मिशन ने कहा कि इराक तथा सीरिया में यजीदी समुदाय के खिलाफ इस्लामिक स्टेट द्वारा जिस प्रकार हिंसा की घटना को अंजाम दिया जा रहा है और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया गया उसी प्रकार की हिंसा रोहिंग्या के खिलाफ की गई।
संयुक्त राष्ट्र के 20 पृष्ठों की रिपोर्ट में कहा गया है कि रोहिंग्या जनसंहार के लिए म्यांमार की सेना के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ हिंसा के कारण 7 लाख लोग जान बचाकर बंगलादेश में शरण लिए हुए हैं। (वार्ता)