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अमेरिकी रिपोर्ट में खुलासा, वित्तीय पारदर्शिता की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता पाकिस्तान

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, मंगलवार, 16 जून 2020 (11:44 IST)
वॉशिंगटन। अमेरिका की एक आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान वित्तीय पारदर्शिता की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा नहीं करता। इसमें आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान सरकारी ऋण गारंटी दायित्वों के बारे में पर्याप्त रूप से खुलासा नहीं करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना के तहत सरकारी उद्यमों को दिए जाने वाले वित्तपोषण के बारे में भी स्पष्ट खुलासा नहीं किया गया है।
सीपीईसी चीन-पाकिस्तान की एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें सड़कों, रेलवे और बिजली परियोजनाओं का योजनाबद्ध नेटवर्क खड़ा किया जाना है। इसके तहत चीन के संसाधन संपन्न शिनजियांग ऊघुर स्वायत्तशासी क्षेत्र को पाकिस्तान के रणनीतिक रूप से अहम ग्वादर बंदरगाह से जोड़ा जाएगा। पाकिस्तान का यह बंदरगाह अरब सागर में है।
 
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2015 में जब पाकिस्तान की यात्रा पर गए थे तब इस परियोजना की शुरुआत हुई थी। यह शी के अरबों डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एवं सड़क पहल (बीआरआई) का अहम हिस्सा है।
 
अमेरिका के विदेश विभाग की सोमवार को जारी '2020 की वित्तीय पारदर्शिता वार्षिक रिपोर्ट' में कहा गया है कि पाकिस्तान भी उन देशों में शामिल है, जो कि वित्तीय पारदर्शिता के मामले में न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में कोई पहल नहीं कर रहे हैं। दक्षिण एशिया क्षेत्र के अन्य देशों में बांग्लादेश का नाम भी शामिल है। इसके अलावा इस सूची में सऊदी अरब, सूडान और चीन का नाम भी शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है दुनियाभर के जिन 141 देशों का इसमें मूल्यांकन किया गया, उनमें भारत सहित 76 देश वित्तीय पारदर्शिता के मामले में न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। दो सरकारों सामोआ एवं टोगो ने 2020 में न्यूनतम आवश्यकता को पूरा किया। इससे पहले 2019 में इन्होंने पूरा नहीं किया था। वहीं 65 देशों की सरकारें हैं, जो कि वित्तीय पारदर्शिता बरतने के मामले में न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती हैं। हालांकि इन 65 में से 14 सरकारों ने इस दिशा में अहम शुरुआत की है।
 
इसमें कहा गया है कि समीक्षा अवधि के दौरान पाकिस्तान सरकार ने अपने बजट प्रस्तावों, बजट और वर्षांत रिपोर्ट को आम जनता के लिए उपलब्ध कराया। यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है लेकिन इसमें पाकिस्तान सरकार के ऋण दायित्वों के बारे में सीमित जानकारी ही दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना में सरकारी उद्यमों को दी गई ऋण गारंटी दायित्वों के साथ ही अन्य सभी सरकारी और सरकारी गारंटी वाले ऋण दायित्वों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी है।
 
अमेरिका सीपीईसी परियोजना की आलोचना करता रहा है। उसका कहना है कि इसमें कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई है। विश्व बैंक ने जिन कंपनियों को काली सूची में डाला है, उन कंपनियों को इसमें ठेके दिए गए हैं। इससे देश (पाकिस्तान) का ऋण बोझ बढ़ेगा।
 
हालांकि पाकिस्तान ने अमेरिका की इस आलोचना को खारिज करते हुए कहा है कि इस परियोजना से नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को ऊर्जा, अवसंरचना, औद्योगीकरण और रोजगार सृजन के क्षेत्र में व्याप्त खाई को पाटने में मदद मिली है। परियोजना के तहत कुछ प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं जबकि कुछ अन्य में देरी हो रही है, क्योंकि पाकिसतान और चीन परियोजना को लेकर परिचालन और वित्तपोषण ब्योरे पर काम कर रहे हैं। (भाषा)

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