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गांधीगिरी आमतौर पर भारत में ही नजर आती है। एक फिल्म से यह चर्चा में आई थी, लेकिन इन दिनों पाकिस्तान में गांधीगिरी का चलन है और इसका सहारा लिया जा रहा है दरअसल, अपनी गांधीगिरी से डॉक्टर महरंग बलोच नाम की एक महिला ने पाकिस्तान की नाक में दम कर रखा है।
दरअसल, ये महरंग बलोच पेश से डॉक्टर हैं और पाकिस्तान के बलूचिस्तान में लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ अंहिसा के सिद्धांत पर आंदोलन चला रही हैं, इनकी उम्र 31 साल है। बलूचिस्तान में महरंग बलोच की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ रही है, बड़ी संख्या में लोग इनकी रैलियों में शरीक हो रहे हैं।
कौन है महरंग बचोच : 1993 में जन्मीं महरंग पेशे से डॉक्टर हैं, लेकिन अब दुनियाभर में उनकी पहचान एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर होती है। साधारण सी दिखने वाली इस डॉक्टर महरंग बलोच के नाम से पाकिस्तान परेशान है। वे महात्मा गांधी की राह पर चल रहीं हैं। वो बलूचिस्तान के लोगों के हक के लिए एक दशक से ज्यादा का समय से लड़ाई लड़ रही हैं। इस लड़ाई में वो अपने अब्बा को खो चुकी हैं और उनके भाई के अचानक गायब होने का दर्द भी अभी ज़िंदा है। वैसे तो उन्होंने बलोच लोगों के लिए 2006 से ही आवाज उठाना शुरू कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद उनके अब्बा का अपहरण कर लिया गया और फिर 2011 में उनका शव क्षत-विक्षत हालत में मिला था।
बता दें कि बलूस्तिान को लेकर पाकिस्तान टेंशन में है, एक तरफ बीएलए ने आतंक बरपाया हुआ है और दूसरी तरफ शांतिवादी अहिंसक आंदोलन कर रही महरंग बलोच पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो रही हैं।
अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे बलोच : बलूचिस्तान में 1948 से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ चल रहा विरोध इन दिनों अपने चरम पर है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) पूरी ताकत के साथ पाकिस्तानी फौज को निशाना बना रही है। एक तरफ जहां बीएलए के हमलों ने पाकिस्तान की शहबाज सरकार की चिंता बढ़ा दी है तो वहीं महरंग बलोच अपने आंदोलन से पाकिस्तान को परेशान किए हुए है। दरअसल, पाकिस्तान के खिलाफ बलूचिस्तानियों के संघर्ष का इतिहास काफी पुराना रहा है। बलोच लोग आज भी अपने अधिकारों के लिए पाकिस्तान सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं।
Edited By: Navin Rangiyal