पाकिस्तान ने एक बड़े घटनाक्रम के तहत जमात उद दावा के सरगना और मुंबई हमलों के मास्टर माइंड हाफिज मोहम्मद सईद को लाहौर में गिरफ्तार कर लिया है। हालांकि पाकिस्तान के इस 'हाईप्रोफाइल ड्रामे' पर भारत को रत्ती भर भी विश्वास नहीं है। केन्द्रीय मंत्री हरदीपसिंह पुरी ने कहा कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। क्योंकि वह पहले भी इस तरह का नाटक कर चुका है।
पाकिस्तान पर इसलिए भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि 26/11 का मुंबई हमला, पठानकोट एयरबेस पर हमला, उरी आदि हमलों को लेकर भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान को सबूत दे चुका है, लेकिन उसने इन मामलों में संतोषजनक कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं पूरे सबूत देने के बाद भी मुंबई हमले गिरफ्तार एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को अंत तक उसने अपना नागरिक नहीं माना था।
इमरान का खेल तो नहीं : एक तरफ माना जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बढ़ते दबाव के चलते आर्थिक रूप से खोखले हो चुके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह कदम उठाया है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का केंद्र बने पाकिस्तान की पुलवामा हमले के बाद मुश्किलें काफी हद तक बढ़ गई हैं। भारत की सक्रियता से उसे फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से ब्लैक लिस्टेट किए जाने का डर सताने लगा है। पेरिस स्थित यह एजेंसी सितंबर में पाकिस्तान के वित्तीय लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर सकती है।
दूसरी ओर इस पूरी कार्रवाई के पीछे एक कारण यह भी सामने आ रहा है कि पाक प्रधानमंत्री इमरान इसी महीने अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं। ऐसे में वे अमेरिका को यह संदेश देना चाहेंगे कि आतंकवाद को लेकर वे काफी गंभीर हैं। वे पाकिस्तान को आतंकवाद पीड़ित देश के रूप में भी पेश कर सकते हैं। हाफिज के संगठन जमात-उद-दावा को कुख्यात आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य चेहरा माना जाता है। उस पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम भी रखा गया है।
एक कारण यह भी : पाकिस्तान की इस कार्रवाई के पीछे एक कारण और सामने आ रहा है। कुलभूषण जाधव मामले की अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी है, उससे पहले भी पाक अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर काफी गंभीर है। ऐसे में वह अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में अपने पक्ष को और मजबूत करना चाहता है।
टेरर फंडिंग मामले में हाफिज सईद की गिरफ्तारी को कम से कम पाकिस्तान की नेक-नीयत से जोड़कर देखना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि पहले भी पाकिस्तान की अदालतों में हाफिज को कई बार जमानत मिल चुकी है। हो सकता है कि इस मामले का हश्र भी पूर्व के मामलों की तरह ही हो।