UN महासचिव ने चेताया, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से धरती का बढ़ता तापमान निकलेगा खतरे से आगे

Webdunia
सोमवार, 4 अप्रैल 2022 (22:36 IST)
बर्लिन। दुनिया के शीर्ष जलवायु वैज्ञानिकों ने सोमवार को आगाह किया कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर देश तेजी से प्रतिबद्धता नहीं निभाते हैं तो धरती पर तापमान एक प्रमुख खतरे के बिंदु से आगे निकल जाएगा।

ALSO READ: खेती में आधुनिक तकनीक से रोकी जा सकती है जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाएं
 
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की रिपोर्ट ने सरकारों और निगमों द्वारा जलवायु संबंधी वादों के टूटने का खुलासा किया जिसमें उन पर हानिकारक जीवाश्म ईंधन पर टिके रहने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने कहा कि यह शर्मसार करने वाली फाइल है, जो खोखली प्रतिज्ञाओं को दर्शाती है।
 
वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु समझौते में सरकारें इस सदी में वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने पर सहमत हुई थीं। हालांकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान वृद्धि के पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाने के मद्देनजर लक्ष्य प्राप्ति के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कटौती ही एकमात्र उपाय है।

ALSO READ: जलवायु परिवर्तन ने दुनिया के तेल और गैस भंडारों को खतरे में डाला: शोध
 
पैनल ने कहा कि (राष्ट्रीय संकल्पों से) अनुमानित वैश्विक उत्सर्जन तापमान को 1.5 सेल्सियस तक सीमित करता है और 2030 के बाद इसे 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना कठिन बना देता है। रिपोर्ट के सह-अध्यक्ष, इंपीरियल कॉलेज लंदन के जेम्स स्की ने बताया कि अगर हम अभी जो कर रहे उसे जारी रखते हैं तो हम तापमान को 2 डिग्री तक सीमित नहीं करने जा रहे हैं, 1.5 डिग्री की तो बात ही नहीं करें।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवाश्म ईंधन के बुनियादी ढांचे में निवेश और कृषि के लिए बड़े पैमाने पर वनों के सफाया से पेरिस लक्ष्य कमजोर हुआ है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुतारेस ने कहा कि पेरिस में सहमत 1.5 डिग्री की सीमा को पहुंच के भीतर रखने के लिए हमें इस दशक में वैश्विक उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कटौती करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लेकिन वर्तमान जलवायु प्रतिज्ञाओं का मतलब उत्सर्जन में 14 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
 
रिपोर्ट के लेखकों ने कहा है कि उन्हें 'पूरा विश्वास' है कि देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने के अपने प्रयासों को आगे नहीं बढ़ाते हैं तो सदी के अंत तक ग्रह औसतन 2.4 सेल्सियस से 3.5 सेल्सियस गर्म हो जाएगा। यह ऐसा स्तर है जिस के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि निश्चित रूप से दुनिया की अधिकतर आबादी पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
 
गुतारेस और रिपोर्ट के सह-अध्यक्षों के कड़े शब्दों के बावजूद पूरी रिपोर्ट में किसी खास देश को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। सुझाए गए समाधान में जीवाश्म ईंधन से सौर और पवन जैसी अक्षय ऊर्जा की तरफ बढ़ने, परिवहन का विद्युतीकरण, संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग और ऐसे उपायों के लिए भुगतान करने में असमर्थ गरीब देशों के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय सहायता शामिल हैं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख