धमाकों से दहला इराक, 36 की मौत

Webdunia
गुरुवार, 19 अप्रैल 2012 (20:50 IST)
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समूचे इराक में शिया बहुल इलाकों में आज हुए 20 से अधिक सिलसिलेवार बम धमाकों में 36 लोग मारे गए और 150 से अधिक घायल हो गए।

अल कायदा से जुडे संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक की ओर से 20 मार्च को किए गए हमले के बाद से यह देश में हुआ सबसे बड़ा हमला है। मार्च के हमले में 30 विस्फोट किए गए थे, जिनमें 52 लोग मारे गए थे। किसी भी संगठन ने अभी तक आज के हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है।

पुलिस एवं अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि बगदाद के शिया बहुल इलाकों में तीन कार विस्फोट हुए जिनमें से दो सड़क के किनारे रखे बम थे तथा एक आत्मघाती था। इन विस्फोटों में 15 लोग मारे गए तथा 61 घायल हो गए।

उत्तरी शहर किरकुक में पुलिस और सेना के गश्ती दल को निशाना बनाकर किए गए दो कार बम हमलों और सड़क के किनारे रखे गए तीन अन्य विस्फोंटों में आठ लोग मारे गए और 24 अन्य घायल हो गए।

हमले में घायल एक पुलिसकर्मी ने बताया कि वह पुलिस गश्ती वाहन के गुजरने से पहले यातायात रोककर खड़ा था। गश्ती वाहन के गुजरते ही वहां जबरदस्त कार बम धमाका हुआ जिसकी चपेट में आकर कई लोग मारे गए।

पुलिस ने बताया कि राजधानी बगदाद में एक के बाद एक जबरदस्त धमाकों की पांच आवाजें सुनायीं दी। ये धमाके बगदाद के आमिल, कधीमिया, फिलिस्तीन स्ट्रीट और जाफरानिया में हुए। इनमें सबसे बड़ा धमाका आमिल में हुआ, जहां मजदूरों को निशाना बनाकर किए गए कार बम हमले में तीन लोग मारे गए और नौ अन्य घायल हो गए।

पुलिस ने बताया कि हैफा में स्वास्थ्य मंत्री के काफिले को निशाना बनाकर किए गए कार बम हमले में दो लोग मारे गए और मंत्री के पांच सुरक्षा गार्ड घायल हो गए। देश के उत्तरी शहरों में हुए छह विस्फोटों में दस से अधिक लोग मारे गए।

समारा में दो और ताजी में एक कार बम हमले की सूचना मिली है। बाकू बा में एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदे वाहन में विस्फोट करके कुछ लोगों की हत्या कर दी। वहां एक अन्य विस्फोट की भी खबर है। मोसुल में सड़क किनारे रखे एक बम में विस्फोट हो गया। पुलिस ने हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है।

इसके अलावा पश्चिमी प्रांत अनबार के रमादी में सुन्नी बहुल इलाके में पुलिस को निशाना बनाकर किए गए दो कार बम हमलों में चार लोगों की मौत हो गई। फल्लुजा में सड़क किनारे रखे एक बम में विस्फोट हो जाने से चार लोग घायल हो गए।

गौरतलब है कि गत दिसंबर में देश से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद यहां शिया-सुन्नी और कुर्द समुदायों के बीच बेहद तनाव पैदा हो गया है। इस वजह से इराक के एक बार फिर जातीय संघर्ष की चपेट में आने की आशंका है। ऐसे ही जातीय संघर्षों के कारण इराक कुछ वर्ष पहले गृह युद्ध की कगार पर पहुंच गया था। (वार्ता)

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