नई दिल्ली। गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच उपजे सीमा विवाद के कारण चीनी मोबाइल कंपनी वीवो को (IPL) के टाइटल प्रायोजन को 1 साल के लिए स्थगित करने के बाद बीसीसीआई (BCCI) ने साढ़े चार महीनों के लिए नए प्रायोजक की तलाश शुरू कर दी है। सोमवार को बीसीसीआई ने साफ किया कि यह जरूरी नहीं कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को ही टाइटल प्रायोजन के अधिकार दिए जाएं।
सनद रहे कि भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय बोर्ड और वीवो के बीच अनुबंध इस साल के लिए रद्द कर दिया था। वीवो से प्रतिवर्ष बीसीसीआई को 440 करोड़ मिलते थे। बीसीआई को उम्मीद है कि नए टाइटल प्रायोजक (Title sponsor) से उसे 300 करोड़ रूपए से ज्यादा मिलेंगे।
बीसीसआई के सचिव सचिव जय शाह ने बोलियां जमा करने के लिए 13 बिंदुओं की घोषणा की। अधिकार पाने वाले के नाम का ऐलान 18 अगस्त को किया जाएगा। बोलियां जमा करने की आखिरी तारीख 14 अगस्त है। ए अधिकार 18 अगस्त 2020 से 31 दिसंबर 2020 की अवधि के लिए उपलब्ध हैं।
जय शाह इसमें कहा गया, इसके बारे में विस्तार से जानकारी उन्हीं पक्षों को दी जाएगी जो ईओआई (एक्सप्रेस आफ इंटरेस्ट) जमा करेंगे और योग्य पाए जाएंगे। सबसे ऊंची बोली लगाने वाले तीसरे पक्ष को अधिकार देने के लिए बीसीसीआई बाध्य नहीं होगा। बीसीसीआई का फैसला कई अन्य बातों पर भी निर्भर करेगा।
बीसीसीआई के अनुसार ईओआई तभी स्वीकार किया जाएगा, जब तीसरे पक्ष का टर्नओवर पिछले आडिट किए गए खातों के अनुसार 300 करोड़ रूपए से अधिक हो। बोली के साथ जांचे गए खातों की प्रति भी जमा करनी होगी।
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि मध्यस्थ या एजेंट इस प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते और ऐसी बोलियां रद्द कर दी जाएंगी। योग गुरू बाबा रामदेव के पतंजलि समूह ने भी बोली लगाने में रूचि दिखाई है। पतंजलि ग्रुप का सालाना टर्नओवर करीब 10,500 करोड़ रुपए है और 2018-19 के वित्त वर्ष में पतंजलि आयुर्वेद की आय 8,329 करोड़ रुपए रही थी।