मुंबई:मुंबई इंडियन्स के कप्तान रोहित शर्मा को अपनी अर्धशतकीय पारी के लिए दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ भरे ही मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार मिल गया हो लेकिन मुंबई इंडियन्स के ड्रेसिंग रूम में मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार 34 साल के स्पिन गेंदबाज पियूष चावला को मिला। यह पुरुस्कार किसी और ने नहीं बल्कि खुद टीम की मालकिन नीता अंबानी ने दिया।
दरअसल मुंबई इंडियन्स ने पिछले साल से ही प्रथा बनाई थी कि हार या फिर जीत कोई भी नतीजा रहे। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को ड्रेसिंग रूम मैन ऑफ द मैच का पुरुस्कार मिलेगा। मुंबई के पहले मैच में यह पुरुस्कार तिलक वर्मा को और दूसरे मैच में कार्तिकेय को मिला था। कल मुंबई की टूर्नामेंट में पहली जीत थी तो यह पुरुस्कार 3 विकेट लेने वाले पियूष चावला को मिला।
चावला ने मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, हमें भी लगा था कि इस विकेट पर 170 रन 190 रन के स्कोर के जितना अच्छा है। लेकिन जिस तरह रोहित और इशान (किशन) ने बल्लेबाजी की, उन्होंने हमें शानदार शुरुआत दिलाई। इस पिच पर नई गेंद का फायदा उठाना जरूरी थी। उन्होंने छह ओवर में 70 रन जोड़कर अच्छी शुरुआत दिलाई जिसने लय दी। छह ओवर में 70 रन के बावजूद मैच आखिरी गेंद तक खिंचा तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पिच बल्लेबाजी के लिए आसान नहीं थी।
चावला ने इस मैच में अपनी कलाई की जादूगरी दिखाई और 22 रन देकर तीन महत्वपूर्ण विकेट लिए। उन्होंने कहा कि लेग स्पिनर खेल के सबसे छोटे प्रारूप में विकेट लेने के विकल्प मुहैया कराता है।
टी20 प्रारूप में लेग स्पिनरों के लगातार प्रभावित करने के बारे में चावला ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में टी20 क्रिकेट की बात करें तो एक समय 160-170 का स्कोर अच्छा माना जाता था लेकिन आजकल ऐसा नहीं है। अगर पिच से मदद मिल रही है तो 170 अच्छा स्कोर हैं, नहीं तो आपको 190 रन के आसपास के स्कोर की जरूरत होगी। कुल मिलाकर हर गेंदबाज रन लुटा रहा है लेकिन लेग स्पिनर आपको विकेट चटकाने का विकल्प देते हैं और उनसे आप कभी भी गेंदबाजी करा सकते हैं।
उन्होंने कहा, कप्तान पावर प्ले में लेग स्पिनर को अधिकतर मौका नहीं देते लेकिन मैंने ऐसा भी किया है। इस प्रारूप में अगर आपको रन रोकने हैं तो विकेट लेने होंगे जो विकल्प आपको लेग स्पिनर देता है, नहीं तो इस प्रारूप में हमने देखा है कि 14-15 रन प्रति ओवर की गति से भी लक्ष्य हासिल होते हैं। इसलिए शायद टीम विकेट चटकाने वाले गेंदबाजों को मौका देने को तरजीह देती हैं।
चावला ने कहा सूर्यकुमार की फॉर्म कभी चिंता की बात नहीं रही। इस प्रारूप में फॉर्म में आने में सिर्फ 10 गेंद लगती हैं, जहां आपने 10 गेंद में चार चौके मारे तो आप लय में आ जाते हो। जैसा (कप्तान) रोहित (शर्मा) ने जिक्र किया यह पिच बल्लेबाजी के लिए उतनी आसान नहीं थी।