अँधेरा ही अँधेरा 'राइडर्स' के लिए

Webdunia
मंगलवार, 12 मई 2009 (12:58 IST)
- स्वरूप बाजपेय ी
किसकी बात पहले करें तालिका की मीर डेयरडेविल्स की या तालिका की फिसड्डी टीम नाइटराइडर्स की। चलो आगाज दिल्ली से ही कर लेते हैं, वीरू की गैरमौजूदगी में जय अर्थात गौतम गंभीर न केवल बल्ले से जोरदार वार करने में जुटे हैं बल्कि कप्तानी का आलम भी कुछ इस तरह बन पड़ा है कि सफलताएँ कदम चूम रही हैं।

डेविड वार्नर के रूप में गंभीर को उतना ही कुशल सलामी साथी मिला है जितना कि वीरू (सहवाग) टीम में होने पर होते। दरअसल अपनी टीम के लिए बनती जाती इन सुखद स्थितियों के मद्देनजर सहवाग को ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए पूरी तरह से आराम कर लेना चाहिए।

सेमीफाइनल से वे राह पकड़ें तब तक वार्नर और आक्रामक हो जाएँगे। डेयरडेविल्स 2009 में 2008 से कहीं ज्यादा खतरनाक मूड में लग रही है।

अगर मैच की ओर देखें तो नाइटराइडर्स के सौरव दादा (44) व निचले क्रम के आगरकर (39) पर दिल्ली के वार्नर (36) व डी'विलियर्स (40 नाबाद) की पारियाँ भारी पड़ीं। अमित मिश्रा (14/3), नेहरा (29/2) व नैनिस (15/2) ने राइडर्स की पारी को तोड़ा, पर दिल्ली की पारी बगैर ज्यादा टूट-फूट के आगे बढ़ती रही।

अब उठाते हैं राइडर्स को जिससे स्वयं खड़े होते नहीं बन पा रहा है। एक मैच (वि. चेन्नई सुपर किंग्स) में बारिश ने उसे एक अंक दिला दिया था, जबकि एकमात्र जीत जो उसे 11 रनों की मिली है (वि. किंग्स इलेवन पंजाब) वह मिली है बारिश व डकवर्थ-लुइस की मेहरबानी से। एक के बाद एक कुल जमा आठ पराजयों का भार टीम के कंधों पर ऐसा लद गया है कि उससे उठते नहीं बन रहा है।

आरंभ से ही लंगड़े घोड़े पर सवारी जो चल रही है। कप्तान ब्रैंडन मैक्कुलम इन सारे मैचों में अब तक सर्वाधिक 35 रनों की पारी खेल पाए हैं और नेतृत्व क्षमता तो चीख-चीखकर उनके गुणगान कर रही है।

अब तो दर्शक दीर्घा में कैमरे ने भी बकीनन पर फोकस होने से इंकार कर दिया है और शाहरुख के रुख को देखे भी जमाना हो गया। तो इतना सबकुछ देखते हुए नाइटराइडर्स एक ऐसी टीम बन गई है, जिसकी किस्मत में अँधेरा ही अँधेरा है, एक ऐसी रात जिसकी कोई सुबह नहीं।

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