ईद मिलाद-उन-नबी क्यों मनाते हैं?

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Milad un-Nabi 2023: इस बार इस्लाम धर्म का सबसे खास त्योहार 'ईद ए मिलाद उन नबी' 28 सितंबर को मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत 27 सितंबर की शाम से शुरू होकर यह 28 सितंबर 2023, गुरुवार शाम को समाप्त होगा। ईद-ए-मिलादुन्नबी का यह त्योहार हजरत मुहम्मद सल्ल. की याद में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था।

आइए जानते हैं इसके बारे में....
 
571 ईसवी को पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म मक्का शहर में हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद सल्ल. ने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की है। आप हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं, आपके बाद अब कयामत तक कोई नबी नहीं आने वाला।
 
मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। इस्लाम से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे। असंख्य कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था।
 
आप सल्ल. ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए, साथ ही लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाएं। अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों को तक पहुंचाया। 
 
पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. के द्वारा इस पवित्र संदेश के प्रचार के कारण मक्का के तथाकथित धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थापकों को यह पसंद नहीं आया और आपको तरह-तरह से परेशान करना शुरू किया, जिसके कारण आपने सन् 622 में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच किया। इसे 'हिजरत' कहा जाता है।
 
सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की, जिसमें अल्लाह ने गैब से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं। 
 
632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था और आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं। महिलाओं की कद्र तथा उन्हें समानता का दर्जा देने की सीख देने वाले और दीन-दुखियों के सच्चे सेवक रहे हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर ही ‪ईद-ए-मिलादुन्नबी मनाई जाती है। 

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