इमाम साहब के पहुँचते ही उन्हें छूने की होड़ लग गई, लेकिन जल्द ही सभी अपने-अपने स्थान पर बैठ गए। इसी प्रकार से पूरे मैदान में बैठे हुए नमाजी भी उनके आते ही सम्मान में उठ खड़े हुए। इमाम साहब ने भी हाथ हिलाकर उन लोगों का अभिवादन कबूल किया।
इतनी बड़ी भीड़ और जैसे ही इमाम साहब ने नमाज पढ़ाना शुरू किया, पूरा माहौल शांत हो गया। कहीं से कोई भी अव्यवस्था देखने को नहीं मिली। सब लोगों ने एकसाथ नमाज अदा की।
इमाम साहब उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने आतंकी वारदातों और फिदायीन हमले का पूरी दुनिया में विरोध किया था। मुस्लिमों में इमाम अब्दुल रहमान अल सुदाइश का वही महत्व है जैसा कि ईसाइयों में पोप का है।