इंटरनेट पर बढ़ती भि‍क्षावृत्ति

Webdunia
- गौरव मि‍श्र

ND
हैलो दोस्तो,

आप सभी को मेरा अभिवादन।

मैं इस बात के लिए आप सभी का तहे दिल से आभारी हूँ कि आप इसे पढ़ रहे हैं। मुझे इस समय आप सभी से मदद की जरूरत है। आप ही मुझे मेरी परेशानियों से निकाल सकते हैं। मैं लॉस वेगास का रहने वाला हूँ। मेरा नाम जॉर्ज है। मेरी उम्र 45 साल है। मैं इस समय एक बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा हूँ। मैं बीस साल से जिस नौकरी में था, वहाँ से मुझे निकाल दिया गया है। उस कंपनी के मालिक का कहना है कि अब मैं शारीरिक रूप से उतना ताकतवर नहीं हूँ, इसलिए अब मेरे लिए कंपनी में कोई काम नहीं बचा है। कंपनी मुझे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला पैसा भी नहीं दे रही है। मैं पिछले 6 महीनों से बेरोजगार हूँ और तमाम कोशिशों के बावजूद मुझे कहीं नौकरी नहीं मिल पा रही है। अब तो हालत यह हो गई है कि मेरे क्रेडिट कार्ड का कर्ज 80 हजार डॉलर तक पहुँच गया है। बैंक ने मेरा क्रेडिट कार्ड भी सील कर दिया और साथ ही मुझे चेतावनी भी दी है कि अगर मैंने जल्दी ही बैंक का कर्ज नहीं चुकाया तो मुझे जेल में डाल दिया जाएगा। मेरे दो छोटे बच्चों और बीवी का मेरे अलावा इस दुनिया में कोई नहीं है। अब मुझे सिर्फ आप लोगों का ही सहारा है। आप लोग ही मेरी मदद कर सकते हैं। आपमें से कुछ लोग अगर मुझे एक पैनी से लेकर एक-एक डॉलर तक की मदद दे देंगे तो इससे मुझे कर्ज चुकाने में काफी मदद मिल जाएगी।

कृपया मेरी मदद करें। मेरे बच्चे आपको दुआएँ देंगे। अब आप ही मुझे जेल जाने से बचा सकते हैं।

आपका
जॉर्ज

ND
अपना मेलबॉक्‍स चेक करते हुए आपको अक्‍सर ऐसे ही कि‍सी बेचारे का मेल आया दि‍खाई दे जाता होगा। इंटरनेट पर सर्फिंग के दौरान आपको अक्सर ही इस तरह के होम पेज देखने को मिल जाते होंगे, जिसमें कोई अंजान व्यक्ति अपनी आर्थिक समस्या के नाम पर या फिर किसी अन्य की मदद के नाम पर आपसे मदद की गुहार लगा रहा होगा। आधुनिक भाषा में इसे हेल्पिंग साइट कहते हैं।

कई बार इसी तरह के ई-मेल्स भी आते हैं। लेकिन गौर करें तो यह भीख माँगने का तकनीकी तरीका ही है। अगर तकनीक ने हर चीज में अपना दायरा बढ़ाया है तो भीख माँगने के क्षेत्र में इसका प्रवेश कैसे नहीं होगा? जैसे ही इंटरनेट नाम की चीज से लोगों का परिचय हुआ भीख माँगने वालों ने भी इसमें अपना कोटा बना लिया।

इंटरनेट के शुरुआती दिनों में ही साइबर बेगिंग की शुरुआत हो चुकी थी। उन दिनों साइबर बेगिंग का दायरा जरूर छोटा था, इस दायरे के भीतर लोग खुद के विज्ञापन देते थे। इन विज्ञापनों के जरिए लोग अपनी परेशानियों का रोना रोते थे। इंटरनेट के शुरुआती दिनों में मदद के लिए दिए जाने वाले विज्ञापन स्थानीय बुलेटिन बोर्ड सिस्टम में दिए जाते थे, लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट का विकास हुआ वैसे-वैसे साइबर बेगिंग के तौर-तरीकों का भी विस्तार होता चला गया। अब तो भीख माँगने के लिए लोग पर्सनल वेबसाइट्स तक बनवाने लगे हैं।

1990 के अंत में एनजीओ द्वारा इंटरनेट पर फंड एकत्रित करने की शुरुआत हुई। वेबसाइट्स के होम पेज आकर्षक बनाकर इसमें फंड एकत्रित करने के नाम पर तमाम दयनीय और दरिद्रता से भरे लोगों की तस्वीरें लगाई जाती हैं और इसे ही देखकर अच्छी खासी रकम जमा हो जाती है।

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