अब ई-वसीयत भी

मरने पर बेटा खोलेगा ई-मेल

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नई दिल्ली, क्या कभी सुना है किसी ने अपने वसीयतनामे में अपना ई-मेल खाता भी दे दिया। इसमें उसकी सारी गोपनीय जानकारी डिजिटल स्तर की है।

प्रशांत दास (बदला नाम) संभवतः पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने बेटों को दी जाने वाली संपत्ति में अपने विभिन्न ई-मेल भी दिए हैं। यह डिजिटल वसीयत उत्तराधिकारी को यह अधिकार देगी कि वह उक्त व्यक्ति के बाद उसके ई-मेल खाते को तलाश सके और इसमें सारी सामग्री देख-पढ़ ले।

यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल ने दी। वे सायबर कानून में भी दखल रखते हैं। श्री दास एक ख्यात व्यवसायी हैं। उनके कुछ ई-मेल हैं और इसे उन्होंने बेटे को दिया है। इसमें से एक उनके कलात्मक कार्य का है, दूसरा ऑडियो रिकॉर्डिंग का। एक अन्य उनकी आत्मकथा का है।

श्री दुग्गल ने कहा कि श्री दास के इनबॉक्स में कई राज हैं। वे नहीं चाहते कि उनकी मौत के बाद ये सब भी खत्म हो जाएँ। इसलिए उन्होंने इसे अपने एक बेटे को सौंपा है। पिता की मौत होने पर बेटे को इस ई-मेल खाते का पासवर्ड दिया जाएगा। यह डिजिटल वसीयत- नामा एक नई अवधारणा है।

विदेश में एक व्यक्ति ने अपनी बहन को अपना ई-मेल खाता वसीयत के रूप में सौंपा था। इसमें इससे जुड़ी सारी जानकारी थी। वह चाहता था कि उसकी बहन सारी जानकारी जुटाकर एक ब्लॉग बनाकर उस पर इसे डालें। इस तरह से उस व्यक्ति की इच्छा पूरी हो गई।

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