गौर कीजिए मोबाइल मैनर्स पर

Webdunia
- रामस्‍वरूप मूँदड़ा

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मोबाइल फोन की बढ़ती उपयोगिता ने उसे एक जरूरत बना दिया है और यह जरूरत इतनी बढ़ गई कि अब मोबाइल एक लत सा हो गया है। जीवनशैली को सरल बनाने के साथ, व्यवहार में भी मोबाइल ने अपना स्थायी मुकाम बना लिया है, लेकिन उसी के साथ मोबाइल उपकरण आदमी के जीवन में 'हस्तक्षेप' करता भी नजर आ रहा है।

आप कहीं भी हों हर स्थान पर मोबाइल की घंटी बज उठती है जो बेहद विपरीत प्रभाव पैदा करती है। वास्तव में, हमारे देश में, जिस वर्ग के हाथों में मोबाइल पहुँच गया है, उसकी शैक्षणिक योग्यता इतनी कम है कि उनसे यह अपेक्षा करना कि वे, मोबाइल मैनर्स समझ पाएँगे, न्यायोचित नहीं लगती है। लेकिन पढ़े-लिखे मोबाइल धारक भी जिस तरह मोबाइल का उपयोग करते हैं वह भी सर्वथा आपत्तिजनक है।

लैंडलाइन फोन और मोबाइल फोन सेवा में कई मूलभूत अंतर है। लैंडलाइन फोन परिवार अथवा ऑफिस में कोई भी सदस्य उठा सकता है, लेकिन मोबाइल फोन केवल मोबाइल धारक को ही उठाना पड़ता है। इसी तरह कॉल करते समय भी मोबाइल धारक ही सीधे कॉल करता है, इसलिए इन मूलभूत अंतर के चलते मोबाइल फोन सेवा ज्यादा सतर्कता की माँग करती है।

क्या है मोबाइल मैनर्स
वास्तव में यह कनेक्शन बेचने वाली कंपनी तथा हैंडसेट विक्रय करने वाली कंपनी की जिम्मेदारी होना चाहिए कि वह अपने ग्राहक को मोबाइल मैनर्स का सरल हिन्दी में छपा हुआ साहित्य उपलब्ध कराए। साथ ही इन कंपनियों को सार्वजनिक रूप से भी 'मोबाइल मैनर्स' के महत्वपूर्ण तथ्यों का व्यापक प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

लेकिन, देखा यह जा रहा है कि ये कंपनियाँ अपने इस दायित्व का निर्वाह बिलकुल नहीं कर रही हैं। जिसकी वजह से आएदिन मोबाइल का आपराधिक दुरुपयोग करते हुए लोग सरलता से देखने को मिल जाते हैं। लेकिन जनजागरण की कमी एवं आवश्यक कानूनी प्रावधान की अनुपलब्धता के कारण इस प्रवृत्ति को रोका जाना मुश्किल हो गया है।

टेलीकॉम विशेषज्ञों ने अपने गहन अध्ययन के आधार पर कुछ मोबाइल मैनर्स निर्धारित किए हैं, जिनके बारे में हर मोबाइल धारक को जानकारी होना जरूरी है। इसके अभाव में आप कितने भी पढ़े-लिखे क्यों न हो, आप कभी भी सभ्य एवं अनुशासित व्यक्ति की श्रेणी में नहीं रखे जाएँगे।

आइए देखें कि विशेषज्ञों के अनुसार वे कौन-से मोबाइल मैनर्स हैं जिनका पालन मोबाइल का उपयोग करने वाले व्यक्ति को आवश्यक रूप से करना चाहिए-

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सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल फोन का उपयोग कतई न करें। सिनेमाघर, थिएटर, अस्पताल, मोक्षधाम, मंदिर, धार्मिक सत्संग, मीटिंग, गोष्ठी आदि में मोबाइल फोन की घंटी बजना भी असभ्यता का सूचक है। सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुँचने के पहले ही अपना मोबाइल फोन बंद कर लें या उसे साइलेंट मोड पर कर दें अथवा उसे 'वायसमेल' पर ट्रांसफर कर लें। मोबाइल मैनर्स जानने की शुरुआत में यह पहली तथा सबसे महत्वपूर्ण हिदायत है।

मोबाइल पर बात करते समय धीमे बोलें, कम बोलें। बातों तथा घटनाओं का विस्तार से वर्णन न करें।

अपने ऑफिस, दुकान आदि पर जहाँ तक संभव हो, लैंडलाइन का ही उपयोग करें।

कार्यालय में आए किसी भी व्यक्ति से बात करने के मध्य मोबाइल या तो बंद रखें, या फिर साइलेंट मोड पर कर लें।

ड्राइविंग करते हुए मोबाइल पर बात करना न केवल असभ्यता का सूचक है अपितु अपराध भी है। बहुत सारी दुर्घटनाओं में यह बात सामने आई है कि चालक मोबाइल पर बातचीत कर रहा था, इसलिए सावधानी नहीं रख पाया और दुर्घटना हो गई।

यदि आप किसी बस अथवा टैक्सी में सवार हों और चालक को मोबाइल इस्तेमाल करते हुए देखें तो तुरंत टोकें तथा मोबाइल बंद करने को कहें। यह प्रवृत्ति अत्यंत खतरनाक साबित होती है।

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अपने मोबाइल की रिंगटोन को संयत, धीमा तथा रुचिकर बनाएँ। रिंग टोन पर भारी आवाज में अजीबो-गरीब गाने बजाने को अव्यावहारिकता कहा जाएगा। इसी तरह अपनी डायल टोन को भी कर्णप्रिय बनाकर रखें तभी आप शिक्षित एवं सज्जन की श्रेणी में शुमार किए जाएँगे।

मोबाइल उपकरण में लगे माइक्रोफोन बेहद स्ट्रांग और सेंसिटिव होते हैं। इस पर ऊँची आवाज में बात करना असभ्यता ही कहा जाएगा, इसलिए मोबाइल पर बात करते समय अपनी आवाज को धीमा तथा संयत रखें।

जहाँ तक संभव हो एसएमएस मैसेजिंग का उपयोग करें। एसएमएस एक ऐसी सुविधा है जो आपकी बातचीत को सीमित तो करती है, कई बार वह व्यावसायिक डील्स में प्रमाण का काम भी करती है।

एसएमएस का उपयोग बधाई देने, धन्यवाद देने में भी कर सकते हैं। लेकिन शुभकामनाएँ और शोक के हस्तलिखित पत्रों के स्थान पर एसएमएस का उपयोग, आपकी निजता व रचनात्मकता को खत्म कर देगा। कृपया उसे बचाए रखें।

सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि मोबाइल पर बात करने के पूर्व अपनी बातचीत के प्रमुख बिंदुओं को प्लान कर लें, ताकि बातचीत छोटी लेकिन संपूर्ण हो सके।

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