टेलीकॉम ऑपरेटर्स के इस प्रस्ताव में व्हाट्सएप, स्काइप, वाइबर जैसी इंटरनेट मैसेंजर सर्विस पर एक्सट्रा चार्ज का प्रस्ताव था। सेल्यूलर ऑपरेटर ट्राई पर इस मामले पर दबाव डाल रहे थे। टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कहना था कि इन व्हाट्सएप, स्काइप, वाइबर जैसी फ्री मैसेजिंग सर्विस से उन्हें नुकसान हो रहा है। इससे कंपनियों के एमएमएस सुविधाओं में कमी आई है।  
 
					
						
						
				
			
						 अगले पन्ने पर, क्यों हो रहा था इस प्रस्ताव का विरोध..  
 
 
					
						
			    	    इन   एप्ल  ीकेशन के उपयोग पर टेलीकॉम सेल्यूलर कंपनियों की आर्थिक हानि का तर्क बेतुका है, क्योंकि इंटरनेट के प्रयोग के दौरान डेटा के उपयोग पर भी कंपनियां पैसा लेती हैं। इसे ऑपरेटरों की पैसा बनाने की योजना के रूप में देखा जा रहा था, इसलिए ट्राई ने ऑपरेटरों के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।