government is bringing made in india web browser for internet users : भारत अपना खुद का वेब ब्राउजर बनाने की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए सरकार ने एक प्रतियोगिता के माध्यम से 3 कंपनियों को चयन किया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत एक स्वदेशी वेब ब्राउजर विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज में जोहो कार्पोरेशन के उला को विजेता घोषित किया गया है और इसके लिए जोहो की टीम को 1 करोड़ रुपए का पुरस्कार मिला है। दूसरा पुरुस्कार पिंग को मिला और 75 लाख रुपए की इनामी राशि दी गई। तीसरा पुरस्कार टीम अजना को मिला और उन्हें 50 लाख रुपए इनाम में दिए गए।
इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना एवं प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम में इस चैलेंज के विजेताओं की घोषणा की और पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर वैष्णव ने कहा कि भारत अब तक सर्विस उपलब्ध कराने वाला देश माना जाता रहा है लेकिन अब भारत को उत्पाद बनाने वाले देश के रूप में भी पहचान बनानी है।
उन्होंने कहा कि इस चैलेंज में एनालॉग और डिजिटल दोनों तरह की चुनौतियां दी गई थी और इसके लिए हार्डवेयर के साथ ही सॉफ्टवेयर उत्पाद भी बनाए गए हैं। वैष्णव ने कहा कि यह देखकर खुशी हुई कि विजेता टियर 2 और टियर 3 शहरों से आ रहे हैं। ब्राउजर इंटरनेट का प्रवेश द्वार है। सर्फिंग, ईमेल, ई-ऑफिस, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आदि ज्यादातर ब्राउज़र पर ही होते हैं।
ब्राउज़र विकसित करना जल्द ही संपूर्ण भारतीय कंक्रीट स्टैक के निर्माण की दिशा में पहला ठोस कदम है। उन्होंने कहा कि अब तक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भारत सरकार सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट विकसित करने के लिए स्टार्ट-अप, शिक्षाविदों को बढ़ावा दे रही है। इसका लक्ष्य भारत को एक उत्पाद राष्ट्र के रूप में विकसित करना है। सरकार ने स्वदेशी ब्राउजर विकसित करने की चुनौती दी। शिक्षाविदों, स्टार्टअप, छात्रों, शोधकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया दी।
इस चैलेंज के लिए 58 कंपनियों में से 3 कंपनियां विजेता बनी है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (सी डैक), बेंगलुरू द्वारा यह चैलेंज आयोजित किया गया था। यह ऐतिहासिक पहल एक महत्वाकांक्षी चुनौती शुरू करके तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक दूरदर्शी छलांग है, जिसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना और डिजिटल स्वतंत्रता को मजबूत करना है।
वैष्णव ने उन प्रतिभागियों पर गर्व व्यक्त किया, जिन्होंने उत्कृष्ट नवाचार, उल्लेखनीय रचनात्मकता, विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप एक विश्वसनीय वेब ब्राउज़र के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की। ये विकास आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने और भारत के डिजिटल भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम आगे हैं। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य स्वदेशी ब्राउज़र विकास में उत्कृष्टता का प्रदर्शन करना था। अगस्त 2023 में शुरू हुई इस चुनौती में तीन चरणों की कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया थी विचार, प्रोटोटाइप और उत्पादीकरण।
इन चरणों ने प्रतिभागियों को अपनी अवधारणाओं को परिष्कृत करने और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के विरुद्ध अपने ब्राउज़र समाधानों की व्यवहार्यता प्रदर्शित करने की अनुमति दी। उला अपनी मजबूत सुरक्षा विशेषताओं, जैसे कि सीसीए रूट एकीकरण, डिजिटल हस्ताक्षर और मशीन लर्निंग-आधारित फ़िशिंग पहचान के लिए सबसे अलग है। ब्राउज़र एक बेहतर ऑनलाइन अनुभव के लिए एक मजबूत विज्ञापन-अवरोधक प्रणाली और अनुकूलन योग्य सुरक्षा सेटिंग्स प्रदान करता है। 24 घंटे की सुरक्षा पैच नीति और बहुभाषी समर्थन के साथ, उला उन्नत कार्यक्षमता प्रदान करने और भविष्य के ब्राउज़िंग अनुभवों का अनुमान लगाने के लिए प्रतिबद्ध है।
जोहो के सीईओ मणि वेम्बू ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं स्वदेशी तकनीक के लिए एक ऐसा माहौल बनाती हैं, जहाँ यह सिर्फ़ तकनीक बनाने के बारे में नहीं है, बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता की नींव रखने के बारे में है, और हम इस संबंध में उला को मिली मान्यता के लिए आभारी हैं। उला गोपनीयता को एक व्यवसाय मॉडल के रूप में नहीं, बल्कि एक मौलिक अधिकार के रूप में मानकर ब्राउज़िंग को फिर से परिभाषित करता है। यह सुनिश्चित करते हुए कि यह सभी व्यक्तियों के लिए मुफ़्त रहे, जबकि उपयोगकर्ता डेटा का कभी भी मुद्रीकरण न हो। Edited by : Sudhir Sharma