भारत के अपनी तरह के पहले सोशल नेटवर्क मूषक के गूगल प्ले स्टोर पर 1 लाख से ज्यादा डाउनलोड पूरे हो गए हैं। मूषक का मौजूदा संस्करण इसी 2 जुलाई को लाया गया है और जन सामान्य से इसे उत्कृष्ट प्रतिसाद मिला है। जहां कई जाने-माने पत्रकार, कलाकार, नेता इससे जुड़े हैं, वहीं ये सही मायनों में भारत के छोटे शहरों के निवासियों को एक सहज और सरल सोशल नेटवर्क के रूप में भा रहा है।
ध्यान में रहे भारत मे प्रचलित लगभग सारे सोशल नेटवर्क– फेसबुक, ट्विटर, whatsapp इत्यादि विदेशी हैं और आज तक उनके सामने कोई सशक्त भारतीय विकल्प उभरकर सामने नहीं आ पाया है। मूषक के संस्थापक अनुराग गौड़ का कहना है की स्वदेशी के अलावा मूषक स्वभाषा पर भी जोर दे रहा है। अभी हिंदी, गुजराती और मराठी में उपलब्ध, मूषक भारत की सभी भाषाओं में 2017 के अंत तक आने का प्रयास कर रहा है।
मूषक मात्र एक संदेशवाहक नहीं है और इसका प्रयास है कि ये सरकार और जनता के बीच संवाद का एक सरल और सहज-साधन बने – जन भाषा में। उदहारण के तौर पर मुजफ्फरनगर रेल हादसे के बारे मे रेल मंत्रालय और रेल मंत्री ने अपने ट्विटर खाते से सारी जानकारी मात्र अंग्रेजी में दी जो सामान्य तौर से जो प्रभावित थे, उनके किसी काम की नहीं थी।
मूषक का प्रयास है इंटरनेट को और गणतांत्रिक और सरल बनाना, भारत की गैर अंग्रेजी जनता के लिए।
एक बड़ी चुनौती जो मूषक के सामने उभर कर आई है, वो आज के युवा का हिंदी को रोमन में लिखना, मात्र इसलिए किए उन्हें पता ही नहीं आसान विकल्प उपलब्ध हैं।
मूषक इस विषय में एक जन अभियान चलाने का प्रयास भी कर रहा है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि भले ही हिंदी विश्व के तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हो पर इन्टरनेट पर 1 प्रतिशत सामग्री भी देवनागरी में उपलब्ध नहीं है। मूषक 14 सितंबर हिंदी दिवस तक 10 लाख उपयोगकर्ता का लक्ष्य रखकर चल रहा है और मूषक मंडली को विश्वास है यह #भारतमेंनिर्मित आग्रह भारत की जनता को भा जाने वाला है।