कब से प्रारंभ हो रही है पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा, क्या रहेगा इस बार खास?

WD Feature Desk
शनिवार, 17 मई 2025 (17:10 IST)
Jagannath Rath Yatra 2025: भारतीय राज्य ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का भव्य और प्राचीन मंदिर है। यहां पर हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथयात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश और विदेश से श्राद्धालु शामिल होते हैं। जो लोग मंदिर के अंदर जाकर भगवान के दर्शन नहीं कर पाते हैं वे इस माध्यम से भगवान के दर्शन का लाभ लेते हैं। इस बार जगन्नाथ यात्रा 27 जून शुक्रवार 2025 को निकलेगी।ALSO READ: कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 पर जाने के लिए कैसे कराएं रजिस्ट्रेशन?
 
द्वितीया तिथि प्रारम्भ- 26 जून 2025 को दोपहर 01:24 बजे से।
द्वितीया तिथि समाप्त- 27 जून 2025 को सुबह 11:19 बजे।
 
हिंदुओं के चार धामों में से एक पुरी में कहते हैं कि इस यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं। इसके 18 दिन पहले भगवान को स्नान कराया जाता है जिसे स्नान यात्रा कहते हैं जिसमें भगवान बीमार पड़ जाते हैं। तब उन्हें औषधि का भोग लगाते हैं। इसके पहले उनके तीन रथों का निर्माण दारुक नाम के वृक्ष की लकड़ी से करते हैं। एक रथ में भगवान जगन्नाथ, दूसरे में भगवान बलभद्र और तीसरे में देवी सुभद्रा विराजमान रहती हैं। भगवान के गुंडिचा मंदिर जाने से एक दिन पहले इस मंदिर को स्वच्छ किया जाता है जिसे गुंडिचा मार्जन परंपरा कहते हैं। रथयात्रा के चतुर्थ दिवस को हेरा पञ्चमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ की खोज में गुंडिचा मन्दिर जाती हैं।
 
गुंडिचा मन्दिर में आठ दिवस विश्राम करने के पश्चात दशमी के दिन भगवान जगन्नाथ पुनः अपने मुख्य निवास पर लौट आते हैं। इस दिवस को बहुदा यात्रा अथवा वापसी यात्रा के रूप में जाना जाता है। यात्रा के बीच एक छोटे से पड़ाव पर भगवान रुकते हैं जिसे मौसी माँ मन्दिर के रूप में जाना जाता है, जो कि, देवी अर्धाशिनी को समर्पित एक दिव्य स्थल है। इसके बाद देवशयनी एकादशी के पहले ही भगवान अपने धाम में पुन: लौट आते हैं। इसके बाद भगवान चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं।

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