जैन धर्मावलंबी की नवपद आराधना

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जैन धर्मावलंबी छह अक्टूबर से लगातार नौ दिनों तक नवपद- अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप की विशिष्ट आराधना करेंगे। यह क्रम 14 अक्टूबर तक चलेगा।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक तथा आसोज शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र कहलाती है। इसमें लोग अपनी-अपनी श्रद्धानुसार उपासना करते हैं। जैन धर्म में इन दिनों में नवपद ओली की आराधना शुद्ध भाव से की जाती है।

इस कड़ी में श्रीपाल चरित्र का वाचन, आयंबिल तप के साथ आराधना की शुरुआत होगी। इसमें वृहद शांति स्नात्र, गौतम स्वामी महापूजन, सिद्धचक्र महापूजन व अन्य बड़ी पूजाएँ भी होंगी। पहले दिन अरिहंत प्रभु के बारह गुणों के आधार पर क्रियाएँ होंगी।

दौरान साध्वीवर्या निर्मलयशाश्रीजी नवपद आराधकों को विशिष्ट क्रियाएँ कराएँगी।

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