जैन धर्म अनुसार दीपावली पूजा विधि

व्रत तिथि निर्णय से उद्धृत

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दुकान या बड़े फर्म के वसना मुहूर्त

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केवलज्ञान रूपी लक्ष्मी पूजन करने के पूर्व अष्टद्रव्य तैयार कर चौकियों पर रख लें। एक चौकी पर मंगल कलश की स्थापना करें। गद्दी पर बहीखाता, दवात-कलम, नवीन वस्त्र, रुपयों की थैली आदि रखें।

प्रथम मंगलाष्टक पढ़कर रखी हुई सभी वस्तुओं पर पुष्प अर्पण करें। अनंतर स्वस्ति विधान, देवशास्त्र गुरु का अर्घ्य, पंचपरमेष्ठी पूजन, नवदेव पूजन, महावीर स्वामी पूजन, गणधर पूजन करें। अनंतर बहियों पर सातिया बनाने के उपरांत ऋषभाय नम:, श्री महावीराय नम:, श्री गौतम गणधराय नम:, श्री केवलज्ञानसरस्वत्यै नम: और श्री केवलज्ञानलक्ष्म्यै नम: लिखकर श्रीवर्द्धताम् लिखें।

इसके पश्चात 'श्री देवाधिदेव श्री महावीरनिर्वाणात्... तमे वीराब्दे श्री... तमे विक्रमाब्दे... ईस्यवीयसंवत्सरे शुभलग्ने स्थिरमुहूर्ते श्री जिनार्चन विधाय अद्य कार्तिक-कृष्णामावस्यां शुभवासरे लाभवेलायां नूतनवसनामुहूर्त करिष्ये'।

सब बहियों पर यह लिखकर पान, लड्डू, सुपारी, पीली सरसों, दूर्वा और हल्दी रखें। पश्चात 'श्री वर्द्धमानाय नम:, श्री महालक्ष्म्यै नम:, ऋद्धि-सिद्धि र्भवतुतराम्' केवलज्ञानलक्ष्मीदेव्यै नम:, मम सर्वसिद्धिर्भवतु, काममांगल्योत्सवा: संतु, पुण्यं वर्द्धताम्, धनं वर्द्धताम्, पढ़कर बहीखातों पर अर्घ्य चढ़ाएँ।

अनंतर मंगल कलश वाली चौकी पर रुपयों की थैली को रखकर उसमें 'श्री लीलायतनं महीकुलग्रहं कीर्तिप्रमोदास्पदं वाग्देवीरतिकेतनं जयरमाक्रीडानिधानं महत्। स: स्यात्सर्वमहोत्सवैकभवनं य: प्रार्थितार्थप्रदं प्रात: पश्यति कल्पपादपदलच्छाय जिनाङ्‍घिद्वयम्', श्लोक पढ़कर सातिया बनाएँ। पश्चात पुण्याह वाचन, शांति, विसर्जन करें।

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