दर्शन की रीत

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पुरुषों को भगवान की दाहिनी तरफ एवं स्त्रियों को भगवान की बायीं तरफ खड़े रहकर दर्शन करना चाहिए।

फिर मूल गर्भगृह (गभारे) के सामने, परमात्मा की प्रतिमा जहाँ पर हो, वहाँ खड़े रहकर दर्शन करना चाहिए।

बीचोंबीच खड़े रहकर दर्शन करने से पीछे से दर्शन-चैत्यवंदन करने वालों को बाधा पहुँचती है। अतः बाजू में खड़े रहकर दर्शन करें।

परमात्मा को तीन बार प्रणाम करें, सिर झुकाकर, सीना झुकाकर एवं कमर से झुकते हुए प्रणाम करें।

प्रणाम करते वक्त दोनों हथेलियों की खड़ी उँगलियों को आपस में खड़ी मिलाकर, अंजलि रचाकर, ललाट पर रखकर सिर झुकाएँ।

फिर भाव-विभोर बनकर प्रार्थना गाएँ/स्तुति करें :-

दर्शनं देवदेस्य, दर्शनं पाप नाशनं ।
दर्शनं स्वर्ग सोपानं, दर्शनं मोक्ष साधनं ॥
दयासिन्धु दयासिन्धु दया करना दया करना ।
मुझे कर्मों के बंधन से प्रभु जल्दी जुदा करना ।
मुझे गर पंख मिल जाए तो मैं तेरे पास आ जाऊँ ।
मुझे महावीर प्यारे हो, मैं तेरे में समा जाऊँ ।
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