दसलक्षण पर्व की शुरुआत

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दिगंबर जैन समाज के पर्युषण (दसलक्षण) महापर्व की शुरुआत जिनालयों में अभिषेक, पूजन-अर्चन, प्रवचन आदि के साथ हुई। इसके बाद लगातार तीन सत्रों में अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। सभी कार्यक्रमों में अच्छी उपस्थिति रही। समस्त जिनालयों की आकर्षक विद्युत सजावट भी की गई है।

इस अवसर पर क्षमा के महत्व को रेखांकित किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तम क्षमा धर्म को धारण करने वाला ही सच्चा जैनी है। हमें क्रोध को क्षमा से जीतना होगा। क्षमा अर्थात शांति। हम अपने भीतर क्रोध को प्रवेश ही न करने दें। मन के विकारों को तिलांजलि देना तथा आत्मिक गुणों को प्रकट करने की प्रवृत्ति को बढ़ाना ही दसलक्षण धर्म की आराधना करना है।

उन्होंने कहा कि क्षमा से मानसिक व शारीरिक रोग नहीं होते जबकि क्रोधी व्यक्ति ब्लड प्रेशर आदि जैसे जानलेवा रोगों से घिर जाता है। यदि हम क्षमा धारण करेंगे तो लड़ाई-झगड़े, कोर्ट-कचहरी, तलाक आदि से बचे रहेंगे। प्रतिदिन शाम को प्रतिक्रमण, आरती, शास्त्र प्रवचन आदि कार्यक्रम होंगे।

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