रात्रि प्रार्थना

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सारा दिन दुनियादारी के द्वंद्वों में गुजरता है। कदम-कदम पर न जाने कितने रूप हम रचाते हैं... कितने नाटक हम खेलते हैं... मुखौटों के जमघट में अपना असली रूप भुला दिया गया है। रात की शांत, प्रशांत एवं मधुर-बेला में स्वस्थ होकर स्वयं के भीतर की ओर मुड़ें... स्वयं से जुड़ें। जगत्‌ की जंजाल से मुक्त होकर अंतर्जगत को आलोकित करें। सबसे पहले 27 या 12 नवकार मंत्र का स्मरण करें।

अरिहंतो मह देवो जावज्जीवं सुसाहूणो गुरुणो ।
जिणपण्णत्तं तत्तं इअ सम्मत्तं मए गहियं ॥

हमेशा ध्यान रखो

1. कभी छोटा मत समझो- कर्ज, शत्रु, बीमारी।
2. इन्हें कोई चुरा नहीं सकता- हुनर, ज्ञान, अक्ल।
3. जो निकल गई वापस नहीं आती- तीर, मुँह के बोल, शरीर से प्राण।
4. तीन बातें कभी न भूलें- कर्ज, फर्ज, मर्ज।
5. इन तीनों का सम्मान करो- माता, पिता, गुरु।
6. इन तीनों को वश में रखो- मन, काम, क्रोध।
7. तीन बातें मानो- कम खाओ, गम खाओ, नम जाओ।
8. तीन चीजें किसी का इंतजार नहीं करतीं- समय, मौत और ग्राहक।
9. तीन चीजें जीवन में एक बार मिलती हैं- माँ-बाप और जवानी।
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