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जैन धर्म
गोपाचल के निकटवर्ती तीर्थ क्षेत्र
बावनगजा तीर्थक्षेत्र गोपाचल
गोपाचल का त्रिशलगिरि समूह
गोपाचल दुर्ग तथा उसके चतुर्दिक गुहा मंदिरों में उत्कीर्ण अनगिनत तीर्थंकर प्रतिमाओं तथा ग्वालियर अंच...
गोपाचल के गुहा मंदिर
गोपाचल के जिन मंदिर एवं प्रतिमाएँ
गोपाचल दुर्ग
पत्थर की बावड़ी
ग्वालियर गौरव - गोपाचल
जैन धर्म की मुख्य बातें
श्री बृहत्-शांति (बड़ी)
भो भो भव्या! श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्, ये यात्रायां त्रि-भुवन गुरो-रार्हता! भक्ति-भाजः! तेष...
स्नात्र पूजा : ढाल-विवाहलानी
सुर सांभळीने संचरीया, मागध वरदामें चलीया। पद्मद्रह गंगा आवे, निर्मल जल कलश भरावे ॥1॥
जैन आचार्यों के उपदेश
जो मन, वचन और काया के दण्डों से रहित है, हर तरह के द्वंद्व से, संघर्ष से मुक्त है, जिसे किसी चीज की
भक्तामर स्तोत्र (हिन्दी में)
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
श्री बृहत्-शांति (बड़ी)
भो भो भव्या! श्रृणुत वचनं, प्रस्तुतं सर्वमेतद्, ये यात्रायां त्रि-भुवन गुरो-रार्हता! भक्ति-भाजः! तेष...
भक्तामर स्तोत्र का महत्व
पूजा पद्धति
हम जैन हैं। हमारा लक्ष्य परमात्मा जिनेश्वर भगवान के सच्चे एवं श्रद्धावान अनुयायी बनने का होना चाहिए ...
प्रभु स्तुति
चैत्यवंदन- (पूर्वविधि)
आइए, अब परमात्मा के समक्ष चैत्यवंदन करके परमात्मा की स्तवना-भक्ति करें। सबसे पहले खड़े होकर हाथ जोड़कर...
चैत्य-वंदन की शुरुआत
सबसे पहले तीन बार 'खमासमण सूत्र' बोलकर विधिपूर्वक तीन खमासमण दें। फिर खड़े होकर या बैठे-बैठे हाथ जोड़क...
जयवीयराय सूत्र
(फिर दोनों हाथों को जोड़कर मस्तक को लगाकर जयवीयराय सूत्र कहना) जयवीयराय जगगुरु होउ ममं तुह पभावओ भयव...
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