अतिशय पार्श्वनाथ क्षेत्र गोपाचल

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निर्वाण भूमि के साथ ही गोपाचल अतिशय क्षेत्र भी है। तथ्य तो यह है कि जिस भूमि से आत्मा परमतत्व पद को प्राप्त होती है, वह भूमि पवित्र होती है, वहाँ ज्ञान ज्योति सदैव प्रज्वलित रहती है।

परन्तु यह जगत अपने भौतिक लाभ की दृष्टि से अलौकिकता को पुद्गल नेत्रों से देखना चाहता है, जड़ कर्णों से सुनना चाहता है, नासिका से महक लेना चाहता है, देह से स्पर्श करना चाहता है, जिह्वा से रसास्वादन करना चाहता है और मन इंद्रिय से उपभोग करना चाहता है, तब प्रकृति उस परम ज्योति का दिग्दर्शन कराने हेतु अतिशय प्रकट करती है, चमत्कार बताती है।

इसके कारण विचित्र घटनाएँ होती हैं, जिसे दैविक शक्ति की संज्ञा दी जाती है। यह है प्रकृति का नियम-स्वाभाविक नियम। गोपाचल भी इससे अछूता नहीं रहा। यहाँ भी अनेक अतिशय हुए हैं, जिससे जन-जीवन प्रभावित रहा है। अतः गोपाचल अतिशय क्षेत्र भी है।

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