सुगंध दशमी व्रत का दिगंबर जैन की मान्यताओं में काफी महत्व है और स्त्रियां हर वर्ष इस व्रत को करती हैं। धार्मिक व्रत को विधिपूर्वक करने से अशुभ कर्मों का क्षय, शुभास्रव और पुण्यबंध होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सांसारिक दृष्टि से उत्तम शरीर प्राप्त होना भी इसका व्रत फल बताया गया है।
सुगंध दशमी के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह इन पांच पापों के त्याग रूप व्रत को धारण करते हुए चारों प्रकार के आहार का त्याग, मंदिर में जाकर भगवान की पूजा, स्वाध्याय, धर्मचिंतन-श्रवण, सामयिक आदि में अपना समय व्यतीत करना चाहिए। इस दिन दस पूजाएं करें।
सायंकाल में दशमुख वाले घट में दशांग धूप आदि का क्षेपण कर रात्रि को भजन आदि में अपना समय व्यतीत करना होता है।
उसके बाद दूसरे दिन प्रात:काल पूजा आदि करके पात्र दान कर पारणा किया जाता है। व्रत निर्विघ्न पूर्ण होने पर उद्यापन, मंदिर में मंडलजी मंडवा कर पूजन करा कर मंदिर में शास्त्र, उपकरण आदि श्रद्धानुसार भेंट किए जाते हैं ।
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