Amarnath Yatra News : इस साल की अमरनाथ यात्रा के दौरान वायुसेना को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई है। वायुसेना हवाई निगरानी, सुरक्षा मुहैया करवाने, बीमारों या अन्य आपदाग्रस्तों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाएगी। इसके साथ-साथ अमरनाथ गुफा और अन्य महत्वपूर्ण पड़ावस्थलों पर जरूरत की सामग्री ढोने में भी वायुसेना जुटी हुई है।
दरअसल अमरनाथ यात्रा के दोनों मार्गों पर बर्फ अभी भी चुनौती बनी हुई है जिस कारण 30 जून तक सभी प्रबंधों को अंतिम रूप देने में आ रही कठिनाईयों से सामना करने की खातिर वायुसेना को मैदान में कूदना पड़ा है।
ऐसे में वायुसेना के हेलिकाप्टर बेड़े के वे हेलिकाप्टर खाद्य सामग्री से लेकर बड़े बड़े डीजल जनरेटरों, उनके लिए डीजल आदि को भी पिछले कई दिनों से गुफा, महागुनस टाप आदि पड़ावस्थलों तक पहुंचाने कई उड़ानें भर रहे हैं जिन्हें सुरक्षा की भी जिम्मेदारी दी गई है।
हालांकि गुफा की सीढ़ियों से बर्फ को साफ कर दिया गया है पर नीचे संगम पर जमी हुई बर्फ तथा ताजा बर्फबारी यात्रा प्रबंधों में रोड़े अटका रही है। यात्रा मार्गों को चलने लायक और सुरक्षित बनाने की खातिर दी गई डेडलाइन का आज अंतिम दिन था और सीमा सड़क संगठन अर्थात बीआरओ अभी भी मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझ रहा था।
जबसे कश्मीर में आतंकवाद फैला है तब से यूं तो वायुसेना हर साल अमरनाथ यात्रा में अहम भूमिका निभाती आई है। पर इस बार उसे अमरनाथ गुफा तथा उन पड़ावस्थलों पर कड़ी निगरानी रखने की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। जहां से पहाड़ों पर जमीं बर्फ के खिसकने का अंदेशा है।
आधिकारिक तौर पर माना जा रहा है कि कश्मीर में पल-पल बदलते मौसम का प्रभाव अमरनाथ यात्रा मार्ग और पड़ावस्थलों पर भी देखने को मिल सकता है जो भयानक भी हो सकता है। ऐसा ही प्रभाव पिछले साल 8 जुलाई को दिखा था जब गुफा के नीचे संगम दरिया पर अचानक बादल फटने और बर्फ का पहाड़ बह कर आने से 16 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
श्राइन बोर्ड के अधिकारी कहते थे कि ऐसे हादसों की खबर पहले ही मिल जाए इसकी खातिर वायुसेना के हेलिकाप्टर इस बार अपनी अहम भूमिका निभाएंगें।
Edited by : Nrapendra Gupta