Jammu Kashmir Cold : इस बार कश्मीर में सफेद क्रिसमिस देखने को नहीं मिला। दरअसल चिल्लेकलां की भयानक सर्दी वाली परिस्थितियों के बावजूद कश्मीर में भारी बर्फबारी कहीं नजर नहीं आ रही है। यूं तो इस बार पिछले महीने ही बर्फ गिरनी आरंभ हुई थी पर वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान थी। यही कारण था कि सेना भी कम बर्फबारी के कारण परेशान हुई तो उसे एलओसी पर अपने सैनिकों की संख्या को बढ़ाना पड़ा था।
पिछले एक सप्ताह से कश्मीर ही नहीं जम्मू भी भयानक सर्दी और जबरदस्त कोहरे से त्रस्त है। पर जबरदस्त बर्फ कहीं नजर नहीं आ रही है। ऐसे में फिर से यह सवाल पैदा हो गया है कि क्या कश्मीर एक बार फिर बर्फ से वंचित होगा? सवाल का जवाब कुछ अरसा पहले इस विषय पर की गई रिसर्च स्टडी चेतावनी दे चुकी है। हालांकि मौसम विभाग कह रहा है कि इस बार कश्मीर में नववर्ष की पूर्वसंध्या पर बर्फबारी का इंतजार कर रहे लोगों को निराश भी होना पड़ सकता है।
मौसम विभाग और रिसर्च स्टडी इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेवार ठहराते हैं। कश्मीर के मौसम पर स्टडी कर रिपोर्ट तैयार करने वाले रिसर्च स्कालर अर्जिमंद तालिब हुसैन की रिपोर्ट एक छुपी हुई चेतावनी अरसा पहले ही दे चुकी है। यह चेतावनी कश्मीर से बर्फ के पूरी तरह से गायब हो जाने के प्रति है।
हालांकि मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि नववर्ष की पूर्वसंध्या पर प्रदेश में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे, पर 31 दिसंबर तक भारी बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अगले 31 दिसम्बर तक में मौसम शुष्क और कोहरे वाला बने रहने की संभावना है।
ऐसे हालात के लिए तालिब हुसैन की रिसर्च कहती है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ा है। यह औसतन कश्मीर में 1.450 डिग्री ऊपर गया है और जम्मू में 2.320 डिग्री। हालांकि मौसम विभाग कहता है कि जम्मू कश्मीर में 0.050 डिग्री की दर से प्रतिवर्ष तापमान में वृद्धि हो रही है।
इस स्टडी रिपोर्ट की चेतावनी सच्चाई में भी बदल रही है। कश्मीर में अभी तक कम बर्फबारी तथा साल में 9 महीने बंद रहने वाले जोजिला दर्रे के अब लंबे समय तक खुले रहने की सच्चाई चेतावनी ही थी।
याद रहे जोजिला दर्रे पर हमेशा 20 फुट बर्फ जमी रहती थी और साल के 9 महीने इसे बंद रखना पड़ता था पर पिछले कुछ सालों से इसके खुलने का समय लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2008 की सर्दियों में इसे पूरी तरह बंद इसलिए नहीं किया गया था क्योंकि हैवी स्नोफाल ही नहीं हुआ था।
स्टडी रिपोर्ट कहती है कि मौसम का चक्र भी ग्लोबल वार्मिंग ने बदल दिया है। यहां पहले दिसम्बर और जनवरी में बर्फ गिरा करती थी वह अब फरवरी और मार्च में होने लगा है। कश्मीर में स्नो सुनामी अगर इसकी पुष्टि करता है तो वर्ष 2007 के मई के पहले सप्ताह में ऊंचे पहाड़ों पर गिरने वाली बर्फ भी इसकी पुष्टि करती है।
ऐसे में इस रिपोर्ट की चेतावनी कश्मीरियों को डरा जरूर रही है। जो कह रही है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग को थामा नहीं गया तो कश्मीर आने वाले सालों में बर्फ से पूरी तरह से वंचित हो सकता है। फिर कोई भी ऐसा नहीं कहेगा कि कश्मीर धरती का स्वर्ग है। हालांकि बर्फ से वंचित होने की चेतावनी के साथ ही कश्मीर में खाद्य सामग्री की किल्लत की भी चेतावनी यह स्टडी रिपोर्ट दे रही है।