Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अटूट संकल्प! दिव्यांग ज्योति ने ट्रायसिकल से की अमरनाथ यात्रा

हमें फॉलो करें अटूट संकल्प! दिव्यांग ज्योति ने ट्रायसिकल से की अमरनाथ यात्रा
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , शुक्रवार, 21 जुलाई 2023 (23:02 IST)
Amarnath Yatra News: जम्मू की रहने वाली ज्योति (Jyoti) ने 2015 में एक दुखद रेल दुर्घटना (train accident) में अपने दोनों पैर खोने के बावजूद अविश्वसनीय दृढ़ संकल्प दिखाते हुए पवित्र अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) शुरू की। अपनी समर्पित मां के साथ ज्योति ने अप्रत्याशित इलाकों व खराब मौसम में निडरता से यात्रा की। कश्मीर पहुंचने के लिए 9 दिनों की अथक यात्रा के दौरान एक विकलांग तिपहिया साइकल पर जोखिमभरी सड़कों से वे बिलकुल नहीं डरीं और न ही उसने हिम्मत हारी।
 
ज्योति ने प्रेरक भावना प्रदर्शित करते हुए कहा था कि मुझे रास्ते में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन अमरनाथ की पवित्र गुफा की यात्रा करने के मेरे अटूट दृढ़ संकल्प ने मुझे दृढ़ रहने की ताकत दी। अगर मैं बिना पैरों के भी इस तीर्थयात्रा पर जा सकती हूं, तो मैं सभी से खुद पर विश्वास करने और उन्हें पूरा करने का प्रयास करने का आग्रह करती हूं।
 
हालांकि ज्योति और उनकी मां को पवित्र गुफा तक अपनी यात्रा पूरा करने में समय लगा लेकिन उनका समर्पण और अटूट दृढ़ संकल्प पहले ही इसी तरह की चुनौतियों का सामना करने वाले अनगिनत अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण बन गया है।
 
ज्योति ने प्यार और दृढ़ संकल्प की शक्ति का प्रदर्शन करते हुए जोर दिया और कहा कि हम इस पवित्र यात्रा पर एक साथ चल रहे हैं। हमारा बंधन भौतिक सीमाओं से परे है और मैं चाहती हूं कि हर कोई यह समझे कि अटूट दृढ़ संकल्प के साथ कुछ भी असंभव नहीं है। ज्योति और उनकी मां उनकी तीर्थयात्रा के दौरान भारतीय सेना द्वारा प्रदान की गई सुरक्षित यात्रा के लिए गहरा आभार व्यक्त करती हैं।
 
भारतीय सेना की प्रशंसा करते हुए ज्योति ने कहा कि हम अपनी सुरक्षा और अपनी यात्रा की सफलता का श्रेय भारतीय सेना को देते हैं। अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए उनका अटूट समर्पण वास्तव में सराहनीय है।
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Maharashtra: रायगढ़ में भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 22