Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राजौरी व पुंछ जिले जंग के मैदान में बदले , 26 सैनिकों और 9 नागरिकों ने गंवाई है जान

हमें फॉलो करें राजौरी व पुंछ जिले जंग के मैदान में बदले , 26 सैनिकों और 9 नागरिकों ने गंवाई है जान
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

, शनिवार, 6 मई 2023 (15:38 IST)
Rajouri and Poonch districts: जम्मू। पिछले 30 महीनों से अर्थात पिछले अढ़ाई सालों से एलओसी (LoC) से सटे राजौरी व पुंछ (Rajouri and Poonch) के जुड़वां जिले जंग के मैदान में बदल चुके हैं। यह जंग 26 सैनिकों और 9 नागरिकों की जान ले चुकी है। सेना के लिए गले की फांस बने दोनों जिलों में चिंता इस बात की है कि उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद स्थानीय नागरिक आतंकवाद की ओर मुढ़ने लगे हैं।
 
इन दोनों जिलों में फैली इस जंग के प्रति यही कहा जा रहा है कि मुकाबला अदृश्य दुश्मन से है। यह दुश्मन स्थानीय ओजीडब्ल्यू तो है ही, एलओसी के पास होने से उस पार से आने वाले विदेशी नागरिक भी हैं जिन पर भी नकेल नहीं कसी जा सकी है। जबकि आतंकी हमलों और नरसंहार की घटनाओं में शामिल सभी आतंकी फिलहाल गिरफ्त से बाहर हैं। इन दोनों जिलों में आतंकियों द्वारा सेना को लगातार निशाना बनाए जाने से सेना की परेशानी सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने की हो गई है।
 
अक्टूबर 2021 के 2 हमलों की ही तरह, जिसमें 9 सैनिक मारे गए थे, इस बार 17 दिनों के भीतर फिर से 10 सैनिकों को मारने वाले आतंकी स्नाइपर राइफलों और अति आधुनिक हथियारों से लैस होने के साथ ही क्षेत्र से भली-भांति परिचित होने वाले बताए जा रहे हैं। एक अधिकारी के बकौल स्थानीय समर्थन के कारण ही वे पुंछ के भाटा धुरियां इलाके से राजौरी के कंडी क्षेत्र तक के 50 से 60 किमी के सफर को पूरा कर रहे हैं।
 
पिछले 17 दिनों में आतंकियों के हाथों 10 जवानों की मौतें राजौरी व पुंछ के एलओसी से सटे इन जुड़वां जिलों में कोई पहली आतंकी घटना नहीं थी बल्कि 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों ने कश्मीर से इन जुड़वां जिलों की ओर रुख करते हुए पहले सुरनकोट के चमरेर इलाके में 11 अक्टूबर 2020 को 5 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।
 
इस हमले के 5 दिनों के बाद इसी आतंकी गुट ने पुंछ के भट्टा दुराईं इलाके में सैनिकों पर एक और घात लगाकर हमला किया तो 4 सैनिक शहीद हो गए। दोनों हमलों में शहीद होने वालों में 2 सैनिक अधिकारी भी शामिल थे। 
करीब 10 महीनों की शांति के उपरांत आतंकियों ने फिर से राजौरी के दरहाल में सैनिकों पर हमला बोला तो 5 जवान शहीद हो गए। हालांकि सेना अभी तक इन हमलों में शामिल आतंकियों को न ही पकड़ पाई है और न मार गिराया जा सका है।
 
कहा तो यह भी जा रहा है कि यह एक ही गुट का काम था जिसने फिर से इस साल के पहले महीने की पहली तारीख को ढांगरी में 9 हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया था। 30 महीनों से जंग के मैदान में बदल चुके दोनों जिलों के हालात के प्रति यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि यह अब सेना के गले की फांस बनने लगे हैं। 
दरअसल, आतंकी 16 अक्टूबर 2021 को भाटा धुरियां में जिस तरह से 1 महीने तक सैनिकों को छकाते रहे हैं, ठीक उसी रणनीति को अपनाते हुए वे फिर से 19 दिनों से सैनिकों के संयम की परीक्षा ले रहे हैं। 
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मणिपुर हिंसा में 54 लोगों की मौत, इंफाल घाटी में शांति