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श्री कृष्‍ण जन्माष्टमी की 12 खास परंपरा जो इस पर्व बनाती है रोचक

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हमें फॉलो करें 12 Traditions of Shri Krishna Janmashtami

WD Feature Desk

, सोमवार, 11 अगस्त 2025 (15:16 IST)
इस बार भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी के दिन रात की 12 बजे हुए था। इस दिन को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा दिन और उत्सव माना जाता है। इस दिन 8 खास परंपरा या रीति रिवाज निभाए जाने का प्रचलन है। आओ जानते हैं कि वे कौनसी परंपराएं हैं।
 
1. व्रत: इस दिन फलाहारी या निर्जला व्रत रखकर श्रीकृष्‍ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जब रात की 12 बजे श्रीकृष्‍ण की पूजा होती है इसके बाद ही व्रत खोला जाता है।
 
2. मंदिरों की सजावट: इस दिन सभी मंदिरों को आकर्षक लाइट और फूलों से सजाया जाता है। प्रत्येक मूर्ति और मंदिर का श्रृंगार किया जाता है। पूजा, प्रार्थन और दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है।
 
3. झाकियां: मंदिर और घरों में श्रीकृष्‍ण के जन्म से संबंधित घटनाक्रम की झांकियां बनाई जाती है। गौशाला, कारागार, माता यशोदा की डांट, मुख में ब्रह्मांड दर्शन, माखन चोरी आदि दृश्यों के माध्यम से झांकियों को दर्शाया जाता है। 
 
4. झूला: श्री कृष्‍ण के जन्मोत्सव पर खास तौर पर झूला बनाकर उसे सजाया जाता है और उस झूले में बालकृष्‍ण का श्रृंगार करके उन्हें झूले में लिटाया जाता है।
 
5. वृक्ष: झांकियों में या सजावट के दौरान दो सुंदर वृक्षों को लगाकर उसकी सजावट की जाती है। यह वृक्ष दो देवताओं के प्रतीक हैं जो किसी श्राप के चलते वृक्ष बन गए थे। माता यशोदा अपने कन्हैया को इन्हीं वृक्षों से बांध देती थी। 
 
6. नाटक और रासलीला: गांवों और शहरों में श्रीकृष्‍ण की बाल लीला और रासलीला का आयोजन किया जाता है। छोटे-छोटे बच्चों को श्रीकृष्‍ण, राधा, मधुसुदन, यशोदा आदि बनाकर माखन चोरी के दृष्य का मंचन किया जाता है। 
 
7. दही हांडी प्रतियोगिता: यह परंपरा भगवान श्रीकृष्‍ण की माखन चोरी की लीला पर आधारित है। युवा लोग गोविंदा बनकर एक पिरामिड के आकार में एक दूसरे के ऊपर चढ़कर ऊंचाई पर टंगी हांडी को फोड़ते हैं।
 
8. विशेष पूजा: भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र को पंचामृत से स्नान कराकर, वस्त्र पहनाकर, श्रृंगार करके, धूप, दीप, चंदन, अक्षत, फूलों और भोग (माखन, मिश्री, आदि) से पूजा की जाती है। रात 12 बजे कृष्ण जन्म का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें आरती, कीर्तन, और जन्माष्टमी के गीत गाए जाते हैं। मंत्र जप किया जाता है।
 
9. प्रसाद वितरण: भगावान श्रीकृष्‍ण को माखन मिश्री, पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाकर उसे प्रसाद रूप में सभी को विपरित किया जाता है। इसके अलावा, दूध, फल, मेवा, लड्डू सहित भगवान को 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है। रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूँज उठती है। भगवान कृष्ण जी की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।
 
10. खीरा काटना: कुछ स्थानों पर, जन्माष्टमी पर खीरा काटना भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक माना जाता है। 
11. शुभकामनाएं: इस दिन लोगों को श्रीकृष्‍ण जन्म की बधाई और शुभकामना संदेश देते हैं। 
 
12. कथा श्रवण: जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी कथाएं पढ़ी और सुनी जाती हैं।

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