भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के दिन प्रात:काल स्नान करके घर को स्वच्छ करें। नाना प्रकार के सुगंधित पुष्पों से घर की सजावट करें व गोपालजी का पालना सजाएं। तत्पश्चात भगवान को शुद्ध जल से स्नान कराएं फिर दूध, दही, घी, शहद, शकर व पंचामृत से स्नान कराएं। सभी स्नान के बाद शुद्ध जल से स्नान कराके दूध से अभिषेक करें व भगवान को वस्त्र पहनाएं। आभूषण से सुशोभित कर केशर या चंदन का टीका लगाएं तथा फिर भगवान को पालने में सुला दें। यदुनंदन की इस प्रकार से पूजा करने से आपको वे आनंददायक पालने का सुख देंगे।
रात्रि 12 बजे तक भगवान के कीर्तन, भजन व जप करते रहें। रात्रि 12 बजे भगवान की जन्म आरती कर जन्मोत्सव मनाएं। राशि के अनुसार भगवान का पूजन करें तो अनन्य फल प्राप्त होता है।
मेष : लाल वस्त्र पहनाएं व कुंकुं का तिलक करें।
वृषभ : चांदी के वर्क से श्रृंगार करें व सफेद चंदन का तिलक करें।
मिथुन : लहरिया वाले वस्त्र पहनाएं व चंदन का तिलक करें।
कर्क : सफेद वस्त्र पहनाएं व दूध का भोग लगाएं।
सिंह : गुलाबी वस्त्र पहनाएं व अष्टगंध का तिलक लगाएं।
कन्या : हरे वस्त्र पहनाएं व मावे का भोग लगाएं।
तुला : केसरिया वस्त्र पहनाएं व माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
वृश्चिक : लाल वस्त्र पहनाएं व मिल्क केक का भोग लगाएं।
धनु : पीला वस्त्र पहनाएं व पीली मिठाई का भोग लगाएं।
मकर : लाल-पीला मिश्रित रंग का वस्त्र पहनाएं व मिश्री का भोग लगाएं।
कुंभ : नीले वस्त्र पहनाएं व बालूशाही का भोग लगाएं।
मीन : पीताम्बरी पहनाएं व केशर-बर्फी का भोग लगाएं।
जन्माष्टमी पर पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है।
जन्माष्टमी पर राहुकाल दोपहर 12:27 बजे से 02:06 बजे तक रहेगा।
इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा।
पूजा का शुभ समय : 12 अगस्त को रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है।
तिथि नक्षत्र का संजोग नहीं मिलने के कारण 11 तथा 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।