श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व : पूजन सामग्री की सूची

Webdunia
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर पूजन सामग्री की यह सूची विशेष रूप से तैयार की गई है। कान्हा की विधिवत पूजन से पूर्व आप भी जुटाएं यह समस्त सामग्री... 
 
धूप बत्ती (अगरबत्ती),
कपूर,
केसर,
चंदन,
यज्ञोपवीत 5,
कुंकु,
चावल,
अबीर,
गुलाल,
अभ्रक,
हल्दी,
आभूषण,
नाड़ा,
रुई,
रोली,
सिंदूर,
सुपारी,
पान के पत्ते,
पुष्पमाला,

 
कमलगट्टे, 
तुलसीमाला,
धनिया खड़ा,
सप्तमृत्तिका,
सप्तधान्य,
कुशा व दूर्वा,
पंच मेवा,
 
गंगाजल,
शहद (मधु),
शकर,
घृत (शुद्ध घी),
दही,
दूध,
ऋतुफल,

नैवेद्य या मिष्ठान्न, (पेड़ा, मक्खन, मिश्री, मालपुए, लड्डू इत्यादि),
इलायची (छोटी),
लौंग मौली,
इत्र की शीशी,
सिंहासन, बाजोट या झूला (चौकी, आसन),
पंच पल्लव, (बड़, गूलर, पीपल, आम और पाकर के पत्ते),
पंचामृत,
तुलसी दल,
केले के पत्ते , (यदि उपलब्ध हों तो खंभे सहित),
औषधि, (जटामांसी, शिलाजीत आदि),
श्रीकृष्ण का पाना (अथवा मूर्ति) ,
गणेशजी की मूर्ति, अम्बिका की मूर्ति,
श्रीकृष्ण को अर्पित करने हेतु वस्त्र,
गणेशजी को अर्पित करने हेतु वस्त्र,
अम्बिका को अर्पित करने हेतु वस्त्र,
जल कलश (चांदी, तांबे या मिट्टी का),
सफेद कपड़ा (आधा मीटर),
लाल कपड़ा (आधा मीटर),
पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार),
दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल,
बन्दनवार,
ताम्बूल (लौंग लगा पान का बीड़ा),
श्रीफल (नारियल),
धान्य (चावल, गेहूं),
पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल),
एक नई थैली में हल्दी की गांंठ,
खड़ा धनिया व दूर्वा आदि, अर्घ्य पात्र सहित अन्य सभी पात्र।
झांकी सजाने के लिए हाथी, गाय, मोर, बांंसुुरी, मोर पंख, छोटी मटकियां, रंगोली आदि
Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख