Shri Karishna janmashtami 2019 : बहुत सरल है श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना, जन्माष्टमी पर ऐसे करें पूजन

WD
वेबदुनिया ज्योतिष डेस्क 

श्याम, गोविंद, मुरारी, मुरलीधर कान्हा, श्रीकृष्णा, गोपाल, घनश्याम, बाल मुकुन्द, गोपी मनोहर जाने कितने खूबसूरत और सुहाने नामों से पुकारे जाने वाले यह आकर्षक देव दिलों के बेहद करीब लगते हैं। इनकी पूजा का ढंग भी उनकी तरह ही निराला है। आइए जानें कैसे करें श्रीकृष्ण की पूजा....
 
चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए।
 
भगवान् कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए।
 
अब दीपक जलाएं और साथ ही धूपबत्ती भी जला लीजिए।
 
भगवान् कृष्ण से प्रार्थना करें कि, 'हे भगवान् कृष्ण ! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए।
 
श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराएं। 
 
फिर गंगाजल से स्नान कराएं। 
 
अब श्री कृष्ण को वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार कीजिए। 
 
भगवान् कृष्ण को दीप दिखाएं। 
 
इसके बाद धूप दिखाएं।
 
अष्टगंध चन्दन या रोली का तिलक लगाएं और साथ ही अक्षत (चावल) भी तिलक पर लगाएं।
 
माखन मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण कीजिए और तुलसी का पत्ता विशेष रूप से अर्पण कीजिए. साथ ही पीने के लिए गंगाजल रखें। 


 
अब श्री कृष्ण का इस प्रकार ध्यान कीजिए :
 
श्री कृष्ण बच्चे के रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं।
 
उनके शरीर में अनंत ब्रह्माण्ड हैं और वे अंगूठा चूस रहे हैं।
 
इसके साथ ही श्री कृष्ण के नाम का अर्थ सहित बार बार चिंतन कीजिए।

ALSO READ: भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम : जन्माष्टमी पर पढ़ना न भूलें, कान्हा देंगे खुशियों का वरदान
 
कृष् का अर्थ है आकर्षित करना और ण का अर्थ है परमानंद या पूर्ण मोक्ष। 
 
इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है, वह जो परमानंद या पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है, वही कृष्ण है।
 
मैं उन श्री कृष्ण को प्रणाम करता/करती हूं। वे मुझे अपने चरणों में अनन्य भक्ति प्रदान करें।
 
विसर्जन के लिए हाथ में फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें : हे भगवान् कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए धन्यवाद।
 
कृपया मेरी पूजा और जप ग्रहण कीजिए और पुनः अपने दिव्य धाम को पधारिए।

ALSO READ: श्रीकृष्ण के 56 भोग का राज जानकर अचरज होगा आपको, पढ़ें कथाएं

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बुध ग्रह का मीन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा नुकसान

होलिका दहन की रात को करें ये 5 अचूक उपाय, पूरा वर्ष रहेगा सुखमय

Meen sankranti 2025: सूर्य मीन संक्रांति कब होगी, क्या है इसका महत्व?

Holi 2025: होली का डांडा गाड़ने, सजाने और जलाने की सही विधि जानिए

चैत्र नवरात्रि कैसे है शारदीय नवरात्रि से अलग, जानिए 7 अंतर

सभी देखें

धर्म संसार

Ayodhyadham: ऋषभदेव जैन मंदिर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव

05 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

05 मार्च 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

कब है हनुमान जयंती 2025 में?

क्या है होली से गुजिया, बृज और श्रीकृष्ण का संबंध, जानिए रोचक इतिहास

अगला लेख