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कृष्ण जन्माष्टमी 2021 : ब्रज मंडल के इन 5 मंदिरों में रहती है जन्मोत्सव की धूम

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अनिरुद्ध जोशी

भाद्रपद की कृष्‍ण अष्टमी को संपूर्ण देश में कृष्ण जन्माष्टमी अर्थात श्रीकृष्‍ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु इस अवसर पर ब्रजमंडल के इन 5 खास मंदिरों में जन्मोत्सव की खास धूम रहती है। हालांकि मंदिर और स्थान तो सैंकड़ों है परंतु आओ जानते हैं इन 5 मंदिरों के नाम।
 
 
उत्तर प्रदेश का वह भू भाग जो श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी विविध लीलाओं से सम्बंधित है, ब्रज कहलाता है। व्रजनाभ श्रीकृष्ण के पड़पोते थे। उनके ही नाम भी इसे ब्रज महा जाता है। इसमें 12 वन और कई उपवन है। इसमें मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, महावन, बलदेव, नन्दगांव, बरसाना, डीग और काम्यवन आदि भगवान श्रीकृष्ण के सभी लीला-स्थल सम्मिलित हैं। ब्रज की सीमा को चौरासी कोस माना गया है।
 
 
1. मथुरा : उत्तर प्रदेश के मथुरा में कंस के कारागार में श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ था। आज उस स्थान को कृष्‍ण जन्मभूमि कहते हैं। जन्मभूमि के आधे स्थान पर मंदिर और आधे स्थान पर मस्जिद बनी हुई है। मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
 
2. गोकुल : मथुरा की जेल में जन्म लेते ही श्रीकृष्‍ण गोकुल क्षेत्र में पहुंच गए थे जहां उनका बचपन गुजरा और कई असुरों का वध किया और देवों का उद्धार किया। मथुरा में यमुना के उस पार गोकुल ग्राम है। दुनिया के सबसे नटखट बालक ने वहां 11 साल 1 माह और 22 दिन गुजारे थे। यहां चौरासी खम्भों का मंदिर, नंदेश्वर महादेव, मथुरानाथ, द्वारिकानाथ आदि मंदिर हैं। परंतु यहां पर नंद भवन में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहती है। गोकुल के पास  ही महावन और नंदगांव हैं।
 
3. वृंदावन : श्रीकृष्‍ण जब थोड़े बड़े हुए तो वृंदावन उनका प्रमुख लीला स्थली बन गया। उन्होंने यहां रास रचा और दुनिया को प्रेम का पाठ पढ़ाया। यहां भगवान बांकेबिहारी मंदिर में कृष्‍ण जन्मोत्सव की धूम रहती है। इसके अलावा यहां पर इस्कॉन मंदिर में भी भव्य रूप से जन्मोत्सव मनाया जाता है।
 
4. बरसाना : जहां उनकी प्रेमिका राधा रानी का मंदिर है जहां पर धूमधाम से कृष्‍ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। श्रीराधा बरसान की रहने वाली थी और उनका जन्म भी वहीं हुआ था। 
 
5. गोवर्धन : वृंदावन के बास ही गोवर्धन नाम गांव है जहां गोवर्धन पर्वत है। इस पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा अंगुली से उठा लिया था। उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर नई परंपरा और त्योहार को प्रकट किया था। यहां पर उनके कई मंदिर है जहां पर कृष्‍ण जन्मोत्सव की धूम रहती है। गोवर्धन पर्वत के तीन मुख्‍य स्थान है- ये 1. गोवर्धन दानघाटी, 2. जतीपुरा, 3. मानसी-गंगा। इसके अलावा 'पूंछरी के लौठा' नामक स्थान पर हनुमानजी का विग्रह स्थापित है।

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