कृष्ण नगरी : माया राज में बेहाल

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- विवेक कुमार जै न

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मथुरा, पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की पूर्व बेला में लाखों श्रद्धालुओं के ब्रजभूमि की ओर बढ़ते कदमों की आहट अभी से सुनाई देने लगी है। देश के ही नहीं, बल्कि विश्व के कोने-कोने से अजन्मे प्रभु का जन्मदिन मनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं समूचे ब्रजभूमि स्थित वृंदावन, नंदगाँव, बरसाना, गोवर्द्धन, गोकुल, महावन, बलदेव आदि पौराणिक स्थलों पर आते हैं। राज्य-राजेश्वर भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी परम आह्लादिनी शक्ति राधारानी के चरण रज से पवित्र इस भूमि एवं यहाँ मौजूद मंदिर, सरोवर, कुंड, मानसी गंगा, यमुना मैया के दरस-परस और साक्षात्कार से श्रद्धालु स्वयं को कृतार्थ करते हैं।

पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरावासियों को कंस नामक अत्याचारी शासक से मुक्ति दिलाने के लिए उसका उन्मूलन किया था। गोकुलवासियों को कालिया नाग के भय से मुक्त कराने के लिए उसका दमन किया और गोवर्द्धन को बचाने के लिए गोवर्द्धन पर्वत को एक उँगली पर उठा लिया था। परंतु आज 21वीं शताब्दी में मथुरा नगरी एवं उसके आसपास का क्षेत्र फिर से कराह रहा है लेकिन अबकी बार की पीड़ा किसी अत्याचारी कंस या कालिया नाग की नहीं, वरन उसी के समान शासन की भाव-भंगिमा को प्रस्तुत करती राजनीतिक कार्यशैली है।

अनादि काल से मथुरा समय के थपेड़ों को बर्दाश्त करते हुए अविरल रूप से स्थायित्व की ओर बढ़ती रही है। यहाँ आने वाले कृष्ण भक्तों की संख्या भी उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है। जन्माष्टमी पर तो लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से यहाँ आते हैं।

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन को विधि-विधानपूर्वक एवं हर्षोल्लास के साथ मनाने की दृष्टि से ब्रज के प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर श्रीकृष्ण जन्मस्थान, वृंदावन स्थित श्री बांकेबिहारीजी मंदिर, रंगजी मंदिर, इस्कॉन के श्रीकृष्ण-बलराम मंदिर, नंदगाँव स्थित नंद बाबा मंदिर व बरसाना स्थित श्रीलाड़लीजी मंदिर, गोवर्द्धन के गिरिराज मुखारविंद मंदिर, गोकुलाधीश महावन चौरासी खंभा मंदिर, रमणरेती धाम स्थित श्रीरमणबिहारी मंदिर, बलदेव स्थित श्रीदाऊदजी महाराज मंदिर में तैयारियाँ चरम पर हैं। मंदिरों को सजाने-सँवारने एवं श्रद्धालुओं के सुविधापूर्वक दर्शन-पूजन के लिए आवश्यक व्यवस्थाएँ की जा रही हैं।

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लीला पंडालों में भी रासलीला की जमकर तैयारियाँ चल रही हैं। प्रभु के आगमन की खुशियों को बाँटने के लिए नगर में होने वाले भंडारों की तैयारियाँ भी शहर के गणमान्य नागरिकों, सामाजिक एवं व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा की जा रही है। ब्रजवासी तैयार हैं सुदूर प्रांतों व विदेशों से आए भक्तजनों का कान्हा की नगरी में स्वागत करने को। इन सबके बावजूद प्रदेश के माया राज में कन्हैया की नगरी की सुध लेने की परवाह किसी को नहीं है।

भगवान का जन्मदिन मनाने के लिए जिन सड़कों से लाखों श्रद्धालुओं को गुजरना है वे बेहाल हैं। जहाँ ब्रज में कभी दूध-दही की नदियाँ बहा करती थीं आज वहाँ पीने के पानी के लिए मारामारी है। नगर की जनता पेयजल संकट से गुजर रही है। पानी का दबाव बहुत कम आने एवं थोड़े समय तक ही पानी की आपूर्ति से सार्वजनिक नलों पर अक्सर लंबी लाइनें व आपस में मारामारी रोज का शगल बन गया है।

अंतापाड़ा हो या चौबियापाड़ा बिजली के केबल व तार खतरनाक स्थिति में लटके रहते हैं, जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। श्रद्धालु जिस यमुना को मैया कहकर उसके पवित्र जल में स्नान व आचमन करते हैं उसमें स्थान-स्थान पर प्रदूषित नाले-नालियों का कचरा सीधे यमुना में गिरना श्रद्धालुओं की पवित्र भावना को आहत कर रहा है लेकिन मायावती के मायाजाल में उलझे अफसरों को ये हाल दिखाई नहीं देता।

हाल में ही उत्तरप्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री विनोद कुमार सिंह ने बताया है कि मथुरा और वृंदावन में पर्यटन के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, जो इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सरकार की ओर से सहायक होंगे। लेकिन यह रुपया वास्तविक रूप से धरातल पर कब आएगा यह तो भगवान कृष्ण ही जानें।

राजनीतिक विद्वेष कभी भगवान श्रीकृष्ण को झेलना पड़ेगा, यह तो उन्होंने कभी भी नहीं सोचा होगा। वर्तमान परिस्थितियों को देखकर यह सोचना पड़ता है कि कहीं कृष्ण को इस तरह की परिस्थितियों का सामना मथुरा में करना होता तो यह उन दैत्यों से होने वाले संघर्ष से भी मुश्किल होता, जो उन्होंने द्वापर युग में किया था। शायद आज माया का प्रभाव भगवान के ऊपर भी इस कदर हावी है कि श्रीकृष्ण का तेज भी उसे नहीं भेद पा रहा है।

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