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हनुमान जयंती ही सही शब्द है जन्मोत्सव नहीं?

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 10 अप्रैल 2025 (18:04 IST)
Hanuman Jayanti 2025: सोशल मीडिया के दौर में आजकल हर साल कई लोग यह बताने में लग जाते हैं कि हनुमान जयंती को जयंती न कहें उसे जन्मोत्सव कहें। जयंती तो उन लोगों की मनाते हैं जो कभी जिंदा थे और अब धरती पर नहीं हैं, परंतु हनुमानजी तो अजर अमर है इसलिए उनकी जयंती नहीं जन्मोत्सव मनाया जाता है। क्या सोशल मीडिया पर हर वर्ष प्रचारित की जा रही ये बात सही है?ALSO READ: हनुमान जयंती पर आजमाए हुए 5 अचूक उपाय, अलाबला से मिलेगी मुक्ति
 
जयंती का अर्थ क्या है?
जयं पुण्यं च कुरुते जयन्तीमिति तां विदुः- (स्कन्दमहापुराण, तिथ्यादितत्त्व)
अर्थात जो जय और पुण्य प्रदान करे उसे जयन्ती कहते हैं। जयंती का अर्थ होता है जिसकी विजय पताका निरंतर लहराती रहती है। जिसकी सर्वत्र जय जय है। जिनका यश, जिनका जय, जिनका विजय अक्षुण है और नित्य है, सदा विद्यमान है। 
 
जयंती सिर्फ महापुरुषों की होती है:
जयंती महापुरुषों और भगवानों की ही होती है। नश्वर शरीर धारियों के लिए जयंती नहीं है। जिनकी कीर्ति, यश, सौभाग्य, विजय निरंतर हो और जिसका नाश न हो सके उसे जयंती कहते हैं। आदिशक्ति महामाया जगतजननी का नाम भी जयंती है।
 
हनुमानजी का जन्म का दिन जयंती के रूप में ही बताया गया है:-
जयंतीनामपूर्वोक्ता हनूमज्जन्मवासरः तस्यां भक्त्या कपिवरं नरा नियतमानसाः।
जपंतश्चार्चयंतश्च पुष्पपाद्यार्घ्यचंदनैः धूपैर्दीपैश्च नैवेद्यैः फलैर्ब्राह्मणभोजनैः।
समंत्रार्घ्यप्रदानैश्च नृत्यगीतैस्तथैव च तस्मान्मनोरथान्सर्वान्लभंते नात्र संशयः॥
 
हनुमान के जन्म का दिन जयंती नाम से बताया गया है। इस दिन भक्तिपूर्वक, मन को वश में करके, पुष्प, अर्घ्य चंदन से, धूप, दीप से, नैवेद्य से, फलों से, ब्रह्मणों को भोजन कराने से, मंत्रपूर्वक अर्घ्य प्रदान करने से तथा नृत्यगीता आदि से कपिश्रेष्ठ का जप, अर्चना करते हुए मनुष्य सभी मनोरथों को प्राप्त करते हैं, इसमें कोई संशय नहीं है।ALSO READ: हनुमान जयंती 2025: हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ पढ़ने का सही तरीका जानिए
 
अयोध्या में हनुमानजी की जयंती ही मनाते हैं:-
अयोध्या में श्रीरामानन्द सम्प्रदाय के सन्त कार्तिक मास में स्वाती नक्षत्रयुक्त कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को हनुमान् जी महाराज की जयन्ती मनाते हैं-
 
"स्वात्यां कुजे शैवतिथौ तु कार्तिके कृष्णेSञ्जनागर्भत एव मेषके ।
श्रीमान् कपीट्प्रादुरभूत् परन्तपो व्रतादिना तत्र तदुत्सवं चरेत् ॥- वैष्णवमताब्जभास्कर
 
इसलिए हनुमज्जयन्ती नाम शास्त्रप्रमाणानुमोदित ही है। हनुमान जी की कीर्ति, यश, विजय पताका, भक्ति, ज्ञान, विज्ञान, जय निरंतर और नित्य है, इसलिए इनकी जयंती मनाई जाती है। जयंती का प्रयोग मुख्यत: किसी घटना के घटित होने के दिन की, आगे आने वाले वर्षों में पुनरावृत्ति को दर्शाने के लिए करते हैं। जैसे रजत जयंती, स्वर्ण जयंती, हीरक जयंती।
 
अन्य भगवानों की भी जयंती ही मनाते हैं:-
यदि हम इस प्रकार से सोचने लगे तो फिर नृसिंह भगवान, हयग्रीव, मत्स्य अवतार, कच्छप अवतार ने तो न जन्म लिया और न उनकी कोई मृत्यु हुई। वे तो बस प्रकट हुए और अपना कार्य करके अदृश्य हो गए। उनके प्रकटोत्सव को भी तो जयंती कहते हैं। जैसे  नृसिंह जयंती, मत्स्य जयंती आदि। दरअसल, भगवान के सभी अवतारों की जयंती मनाई जाती है। जयंती मृत्यु से नहीं, उनके नित्य, सदा विद्यमान, अक्षुण, कभी न नष्ट होने वाली कीर्ति और जयत्व के कारण मनाई जाती है। जन्मोत्सव साधारण से लोगों का मनाया जाता है और जयंती महान लोगों और दिव्य पुरुषों की मनाई जाती है।ALSO READ: इस बार हनुमान जयंती पर बन रहे हैं शुभ संयोग, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

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