ये मंत्र सिद्ध कर लिया तो हनुमानजी स्‍वयं दर्शन देने चले आएंगे?

WD Feature Desk
गुरुवार, 3 अप्रैल 2025 (15:51 IST)
Hanuman Mantra: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती का उत्सव मनाया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर उनकी विधिवत पूजा करने और उनके मंत्रों का जप करने से बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती हैं और सभी तरह के संकट दूर होते हैं परंतु कहते हैं कि हनुमानजी को बुलाने का भी एक मंत्र है जो कि आदिवासी समाज में प्रचलित है। मान्यता के अनुसार इस मंत्र के सिद्ध होने पर हनुमानजी साक्षात दर्शन देने आ जाते हैं।ALSO READ: हनुमानजी त्रेता में हुए फिर क्यों कहा जाता है- चारों जुग परताप तुम्हारा
 
भगवान हनुमान के अनुयायियों के अनुसार भगवान हनुमान को अमरता का वरदान प्राप्त है। कहा जाता है कि वे अभी भी जीवित हैं। ऐसा माना जाता है कि वे हिमालय के जंगलों में रहते हैं। वे भक्तों की मदद करने के लिए मानव समाज में आते हैं, लेकिन वे उनके लिए अदृश्य रहते हैं। हालाँकि एक गुप्त मंत्र है जिसका जाप करने से हनुमान भक्त के सामने प्रकट होते हैं।
 
मंत्र:
कालतंतु कारेचरन्ति एनर मरिष्णु।
निर्मुक्तेर कालेत्वम अमरिष्णु।।
मंत्र का अर्थ:
काल तो चलता रहता है और वह सबको अपने साथ ले जाता है। हम सभी जन्म लेते हैं और एक दिन हमें मृत्यु का सामना करना पड़ता है। लेकिन जब हम मोक्ष प्राप्त करते है तब हमें मृत्यु का भय नहीं रहता है क्योंकि मोक्ष के सात हम अमर हो जाते हैं। निर्मुक्ति के समय हमें मृत्यु से मुक्ति मिलती है और हम अमर बन जाते हैं।
 
श्री हनुमान कलयुग के शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं। मात्र स्मरण करने से ही वे कृपा करते हैं। पहले उपरोक्त मंत्रों को सिद्धि करना होता है। मंगलवार के दिन, जयंती के दिन किसी भी हनुमान मंदिर में यथासंभव पूजन करें तथा नैवेद्य लगाएं। घर पर हनुमानजी का कोई भी चित्र लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें। पूजन में चंदन, सिन्दूर, अक्षत, कनेर, गुड़हल या गुलाब के पुष्प प्रयोग करें। नैवेद्य में मालपुआ, बेसन के लड्डू आदि लें तब आरती कर संकल्प लेकर अपनी समस्या के अनुसार मंत्र जप करें।
 
मंत्र जप की शर्त: 
1. हनुमान का पहले से ही भक्त होना जरूरी है। भक्त को हनुमानजी के साथ अपनी आत्मा के रिश्ते के बारे में पता होना चाहिए।
2. जिस स्थान पर यह मंत्र जाप किया जाता है, उसके 980 मीटर के भीतर कोई भी इंसान ऐसा नहीं होना चाहिए जो शर्त नंबर एक को पूरा न करता हो। इसका मतलब है कि या तो 980 मीटर की सीमा में कोई दूसरा मनुष्य न हो या फिर अगर इस सीमा में कोई मनुष्य है तो वह सभी शर्त नंबर एक को पूरा करें, यानी कि वह सभी अपनी आत्मा के हनुमान जी से संबंध के बारे में जागरूक हों।ALSO READ: हनुमानजी ने चुकाया अपनी माता अंजनी का कर्ज, कथा जानकर हैरान रह जाएंगे
 
मंत्र के मिलने की कथा:
यह गुप्त मंत्र स्वयं भगवान हनुमान ने कुछ आदिवासियों को दिया था जो पिदुरु पर्वत के जंगलों में रहते थे। पिदुरु (पूरा नाम "पिदुरुथलागला") श्रीलंका का सबसे ऊंचा पर्वत है। भगवान राम के मानव जीवन समाप्त करने के बाद, भगवान हनुमान अयोध्या से वापस आ गए और जंगलों में रहने लगे। उन्होंने लंका के जंगलों का भी दौरा किया जहां रावण के भाई विभीषण का शासन था। उन्होंने भगवान राम की याद में कई दिन लंका के जंगलों में बिताए। उस समय कुछ जंगलवासियों ने उनकी सेवा की।
 
जब वह वहां से वापस लौट रहे थे, तो उन्होंने उन जंगलवासियों को यह मंत्र दिया और कहा, "मैं तुम्हारी सेवा और मेरे प्रति समर्पण से प्रसन्न हूं। जब भी तुम मुझे देखना चाहो, बस इस मंत्र का जाप करो। मैं प्रकाश की गति से तुमसे मिलने आऊंगा।" उन आदिवासियों के मुखिया ने कहा, "प्रभु, हम इस मंत्र को गुप्त रखेंगे, लेकिन अगर किसी और को यह मंत्र मिल गया और उसने इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया तो क्या होगा?" भगवान हनुमान ने उत्तर दिया, "चिंता मत करो। यह मंत्र तब काम नहीं करेगा जब इसका जाप करने वाला व्यक्ति अपनी आत्मा के मेरे साथ संबंध के बारे में नहीं जानता।"

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