एक बार फिर से धूम मचाती हुई होली आ गई है। ठंडी-ठंडी हवाएं, सुहाना मौसम, हल्के-गहरे रंग और हंसी ठिठोली..कितना कुछ है इस त्योहार में। तुम भी खेलते हो न होली? तुम्हारा जवाब शायद हां हो लेकिन हमारे पिंटूजी के चचेरे भाई मनन अभी-अभी उनके घर आए हैं। तुम कहोगे उनसे हमारा क्या लेना-देना, हां-हां भई बता रही हूं।
हुआ यह कि चिंटूजी बहुत खुश..अब होली आ रही है और वह मनन के साथ मिलकर खूब धमाल करेंगे। पर मनन जी तो निकले बिदकू राम जी.. यानी वे तो होली के नाम से ही नाक-भौंह सिकोड़ने लगे। चिंटूजी ने कहा कि हम तो खेलेंगे तो वो गुस्सा हो गए और रोने भी लगे।
उनको लेकर चिंटूजी अपनी दादी के पास गए फिर जब बात पता चली तो दादी सोचा कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा।
तभी दादी जी ने पास रखे गिलास से पानी लेकर मनन जी पर छिड़क दिया, पहले वो बोले - अरे दादी क्या करती हो?
फिर बदले में वो भी दादी ऊपर पानी छिड़कने लगे। सभी हंस रहे थे, परिवार वालों का पूरा ध्यान मनन जी की तरफ था। वो भी बहुत मजे लेकर हंस रहे थे।
दादी ने पूछा - क्यों मनन आया न मजा? तो उन्होंने हां में सिर हिला दिया।
बस यही तो है होली का त्योहार, तो इसमें डरने और रुठने की कौन-सी बात है भला?
दादी की बात सुनकर प्यारे से मनन जी शरमा गए और फिर जोर से बोले- मैं होली पर चिंटू को बहुत रंग लगाऊंगा।
दादी ने कहा - यह हुई ना बात...। अब तुम बोलो यदि होली खेलने से घबरा रहे हो बिल्कुल मत डरना और खूब मजा लेना।
तुम्हारी दीदी
सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं.....।