सोचो, सोचो, खूब सोचो

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KaptanND
बच्‍चों,
एक बात तो बताओ, आप लोग कभी कुछ सोचते हो? अब आप लोग सोच रहे होंगे कि दीदी को आज क्‍या हो गया है जो ऐसा उटपटांग सवाल पूछ रही है।

मेरे बारे में ज्‍यादा सोचने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि मुझे कुछ नहीं हुआ। अब मैं आपको ऐसी बात बताऊँगी, जिसे जानने के बाद आप सोचना शुरू कर देंगे। असली बात तो यह है कि बच्‍चे ही सबसे ज्‍यादा सोचते और कल्‍पनाएँ करते हैं। आप लोगों को लग रहा होगा कि आज में सोचने के इतना पीछे क्‍यों पड़ी हूँ।

बच्‍चों हमारी सोच में बहुत शक्ति होती है। सचिन तेंदूलकर जब छोटे थे, तब ही उन्‍होंने सोच लिया था कि बड़े होकर उन्‍हे क्रिकेटर बनना हैं। जे.के. रॉलिंग जब छोटी थी, तब ही उन्‍होंने तय किया था कि वो बड़ी होकर लेखिका बनेंगी। आप भी अपने बारे में अभी से सोचना शुरू करो कि बड़े होकर क्‍या करना चाहते हो।
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आप अपने बारे में नहीं सोचना चाहते तो कोई बात नहीं। सोचने के लिए और भी बहुत कुछ हैं, जानते हो पहले लोग उड़ने के बारे में केव ल सोचा करते थे। प्रकृति ने तो मनुष्‍य को उड़ने की शक्ति नहीं दी, लेकिन सोच-समझ के मानव ने हवाई-जहाज का निर्माण्‍ा कर लिया। हवाई-जहाज में बैठकर मानव बड़ी आसानी से उड़ता है।

हैरी पॉटर, कृश, सुपरमैन, टॉम एंड जैरी और इनके साथ आप टेलीविजन पर जितने भी सुपर हीरों और कार्टून कैरेक्‍टर आप देखते हैं। वे सभी किसी-ना-किसी की सोच का ही परिणाम हैं।
अब तो आप लोगों को सोचने का महत्‍व समझ आ गया होगा। तो जब भी सोचो, अच्‍छा सोचो।
आपकी दीदी
नूपुर
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