दीप से दीप जले,
प्यार ही प्यार पले।
ऐसी आए खुशहाली,
रोज ही मने दिवाली।
रहे प्रकाश ही प्रकाश,
कोई न हो कभी निराश।
मन में घुली रहे मिठास,
अश्रु में भी रहे आस।
चारों ओर खुशियों का छोर,
बंधी रहे सदा प्रीति डोर।
- कवि चौधरी