फनी कविता : सूरज चाचा कैसे हो...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
सूरज चाचा कैसे हो,
क्या पहले के जैसे हो।
बिना दाम के काम नहीं,
क्या तुम भी उनमें से हो?

बोलो-बोलो क्या लोगे,
बादल कैसे भेजोगे।
चाचा जल बरसाने का,
कितने पैसे तुम लोगे।

पानी नहीं गिराया है,
बूंद-बूंद तरसाया है।
एकटक ऊपर ताक रहे,
बादल को भड़काया है।

चाचा बोले गुस्से में,
अक्ल नहीं बिल्कुल तुम में।
वृक्ष हजारों काट रहे,
पर्यावरण बिगाड़ रहे।

ईंधन खूब जलाया है,
जहर रोज फैलाया है।
धुआं-धुआं अब मौसम है,
गरमी नहीं हुई कम है।

बादल भी कतराते हैं,
नभ में वे डर जाते हैं।
पर्यावरण सुधारोगे,
ढेर-ढेर जल पा लोगे।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पाकिस्तान से युद्ध क्यों है जरूरी, जानिए 5 चौंकाने वाले कारण

घर की लाड़ली को दीजिए श अक्षर से शुरू होने वाले ये पारंपरिक नाम

Indian Street Food: घर पर कच्छी स्टाइल दाबेली कैसे बनाएं, जानें पूरी रेसिपी

गर्मियों में धूप में निकलने से पहले बैग में रखें ये चीजें, लू और सन टेन से होगा बचाव

लू लगने पर ये फल खाने से रिकवरी होती है फास्ट, मिलती है राहत

सभी देखें

नवीनतम

पहलगाम अटैक के बाद क्‍यों हो रही है फिल्‍म The Social Dilemma की चर्चा?

इंदौर में स्वस्थ जीवनशैली और लंबी उम्र के लिए जागरूकता कार्यक्रम, "लिव लॉन्ग, लिव स्ट्रॉन्ग"

भारत-पाक युद्द हुआ तो इस्लामिक देश किसका साथ देंगे?

गर्मियों में इन हर्बल प्रोडक्ट्स से मिलेगी सनबर्न से तुरंत राहत

जल की शीतलता से प्रभावित हैं बिटिया के ये नाम, एक से बढ़ कर एक हैं अर्थ