वर्षा गीत

Webdunia
गफूर स्नेही

काले काले छाए घन,
भर गया है नील गगन।
टप-टप टपकी बूँदें ठंडी,
इंद्रधनुष का आगमन।
ठंडी भीगी चल पड़ी है,
कल की लू लिपटी पवन।
चले खेत हाँक के बोने,
शरीफ और देवकीनंदन।
नदी नाले ताल तलैया,
कुएँ होने को जल मगन।
लहरें ही लहरें चाँदी सी,
धरती का हरा हुआ तन।
फूल खिले तितलियाँ नाचे,
भौरों का गुन-गुन गायन।
पंछी दल उड़ानें भरता,
पशुओं का भी उद्‍भरण।
आओ, पावस के स्वागत में,
गीत रचें कोई तो नूतन।
नया वर्ष तो अब लगता है,
मन से इसका अभिनंदन।
उज्जैन (मप्र)

साभार : देवपुत्र
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बहन का प्यार किसी दुआ से कम नहीं होता... रक्षाबंधन पर भेजिए ये भावनात्मक संदेश और कहिए Happy Rakshabandhan

भाई-बहन का रिश्ता: बढ़ती सुविधा, घटती दूरी

वो कहानी, जो हर भारतीय को याद है: 15 अगस्त की गाथा

रक्षा बंधन पर इस बार बाजार में आई है ये 5 ट्रेंडी राखियां, जरूर करें ट्राई

डेंगू और चिकनगुनिया से बचाव के लिए अपनाएं ये जरूरी उपाय, मच्छरों से ऐसे करें खुद की सुरक्षा

सभी देखें

नवीनतम

धागों से बांधा है अपने दिल का अहसास... इस रक्षाबंधन भेजिए भावनाओं से सजे ये बधाई संदेश

विश्‍व आदिवासी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

पहली बार PM की सुरक्षा में तैनात हुईं महिला SPG अफसर, जानिए कौन हैं अदासो कपेसा और कितना है उनका वेतन

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के 10 रोचक तथ्य जानें

लव कुश जयंती 2025: जानें कौन थे और कैसा था इनका जीवन