जब उड़ेंगी रंग भरेंगी तितलियां,
हवाओं में आकर्षण रहेंगी तितलियां।
ढूंढते हो कहां यहां-वहां,
संग फूलों के मिलेंगी तितलियां।
लगने दो धूप पंखों को जरा,
उड़ तभी तो सकेंगी तितलियां।
मिले बाग-उपवन तो बन जाए बात,
कैसे कांक्रीट में जिएंगी तितलियां।
रसोई फूल की जाएगी फ़िज़ूल,
पराग अगर नहीं चखेंगी तितलियां।
हवा के संग ही बहते हैं सभी फूल-पत्तियां,
फ़िज़ा से कब तक बचेंगी तितलियां।
तेज़ाबी हवा में फूल भी उगलेंगे ज़हर,
कौन जाने फिर कहां रहेंगी तितलियां।