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एक बालगीत: मुंह पर काटा

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव

दो घंटे से इस मच्छर ने, 
किया नाक में दम।
 
मैंने जरा डांटकर बोला, 
जा फहीम को काट।
अगर दाल न गले उधर तो, 
इधर भीम को चाट।
 
बोला डंक दिखाकर, 
तुमको ही काटेंगे हम।
 
मैंने समझाया टीचर का, 
खून बहुत है स्वीट।
गुस्से वाले हैं ये टीचर, 
तुरत मिलेगी हीट।
 
गहरी नींद पड़े कुर्सी पर, 
वहीं करो उधम।
 
मगर नहीं माना वह जिद्दी, 
चिल्लाया मुंह फाड़।
अपने बचने का क्यों बच्चू, 
करता व्यर्थ जुगाड़।
 
कहते-कहते मुंह पर काटा, 
तीन जगह एकदम।

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