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बाल कविता : नई पहचान

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डॉ.प्रमोद सोनवानी " पुष्प "

नित्य सवेरे तुम जग जाना,
धरती मां को शीश नवाना ।
प्यारे बच्चों इस दुनिया में,
मिल-जुलकर पहचान बनाना।
 
मात-पिता की सेवा करना,
बाधाओं से कभी न डरना ।
पढ़-लिखकर जीवन में अपने,
मिल-जुलकर पहचान बनाना।
 
सच्चाई के पथ पर चलना,
भेद-भाव की बात न करना।
अपनी मंजिल तक जाकर तुम,
मिल-जुलकर पहचान बनाना।

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