- कीर्ति श्रीवास्तव
चिड़िया चहक-चहक कहती
सुबह-शाम मैं गगन में रहती
कब तक मैं अब उड़ पाऊंगी
प्रदूषित हवा नहीं सह पाऊंगी।
दम घुटता है अब तो मेरा
दे दो अब तो सुखद सबेरा
तभी तुम्हारा आंगन चहकेगा
चमन भी खुशबू से महकेगा।
पेड़ खूब लगाना होगा
चिड़ियों को बचाना होगा
घोंसला तभी बना पाऊंगी
बच्चों को भी बचा पाऊंगी।
साभार- देवपुत्र