फनी बाल गीत : उधम की रेल

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
क्यों करते हो बाबा उधम, 
नहीं बैठते हो चुपचाप। 


 
अपने कमरे में दादाजी, 
पेपर पढ़ते होकर मौन। 
दादीजी चिल्लातीं चुप रह, 
जब बेमतलब बजता फोन।
 
शोर-शराबा, हल्ला-गुल्ला, 
उनको लगता है अभिशाप। 
 
उछलकूद या चिल्ल-चिल्लपो, 
पापा को भी लगे हराम। 
गुस्से के मारे कर देते, 
चपत लगाने तक का काम।
 
भले बाद में बहुत देर तक। 
करते रहते पश्चाताप। 
 
पर मम्मी कहतीं हो-हल्ला, 
ही तो है बच्चों का खेल। 
उन्हें भली लगती जब चलती, 
छुक-छुक-छुक उधम की रेल।
 
उन्हें बहुत भाते बच्चों के, 
धूम-धड़ाकों के आलाप। 
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