मुन्ना राजा धरमपुरा के,
सचमुच के हैं राजा।
जिसका चाहें ढोल बजा दें,
जिसका चाहें बाजा।
पांच बजे सोकर उठते हैं,
ब्रश मंजन करते हैं'
सारे काम फटाफट करके,
फिर कसरत करते हैं।
ताल ठोककर कहते हैं फिर,
कुश्ती लड़ले आजा।
कौन लड़े अब उस मोटू से,
सब डरते हैं भाई।
जो भी उससे लड़ा अभी तक,
सबने टांग तुड़ाई।
टांग देख लो कल्लूजी की,
टूटी ताजा-ताजा।
नाक तोड़ दी रामूजी की,
मोहनजी की जांघ।
काम सभी मुन्ना के होते,
बिलकुल ऊंट पटांग।
खुली छूट है सबसे कहते,
आजा हाथ तुड़ाजा।
शौक जिन्हें होता तुड़वाता,
हाथ पैर मुन्ना से,
लट्टू जैसा उन्हें घुमा वह,
देता गन्नाके।
कहता है जिसको पिटना हो,
खुला हुआ दरवाजा।